अब क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं पंजाब के किसान केंद्र की जगह राज्य सरकार निशाने पर

Farmers protest in Punjab: धान खरीदी और प्रदूषण नियंत्रण के लिए किसानों पर लगाए गए जुर्माने को लेकर पंजाब के किसान एक बार फिर से आंदोलन करने को उतारू हैं. इस बार उन्होंने केंद्र की जगह राज्य सरकार को अपने निशाने पर लिया है.

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Farmers protest in Punjab: एक तरफ पंजाब सरकार और केंद्र सरकार दिल्ली-NCR में प्रदूषण नियंत्रण करने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी ओर किसानों ने एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया है. पंजाब में किसान शनिवार को राज्य सरकार के खिलाफ एक दिवसीय विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी प्रमुख मांगों में समय पर धान की खरीद और अन्य मुद्दे शामिल हैं. इस विरोध के तहत, किसान पंजाब के विभिन्न स्थानों पर सड़कों को अवरुद्ध करने की योजना बना रहे हैं. 

भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) पंजाब के अध्यक्ष सुरजीत सिंह फुल ने बताया कि 26 अक्टूबर को हम चार प्रमुख स्थानों पर दोपहर 1 बजे से सड़क जाम करेंगे. यह चक्का जाम पंजाब के संगरूर और मोगा के साथ ही फगवाड़ा और बटाला में भी आयोजित किया जाएगा. अगर आवश्यक हुआ तो यह आंदोलन अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है.

प्रदर्शन के कारण

सुरजीत सिंह फुल के अनुसार, किसानों के इस प्रदर्शन का मुख्य कारण धान की खरीद में देरी है. अधिकारियों के अनुसार, खरीद के मौसम की शुरुआत से अब तक पंजाब की मंडियों में पहुंचे 11.10 लाख टन धान का केवल 10% ही खरीद एजेंसियों द्वारा उठाया गया है, जो धान की बंपर फसल के बावजूद धीमी खरीद को दर्शाता है.

इस स्थिति को देखते हुए, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से धान की खरीद में सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है. इसी मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली में हुई जिसमें केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, खाद्य राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल थे.

पराली जलाने पर दंड

धान खरीद में देरी के अलावा पराली जलाने पर लगाए गए दंड के खिलाफ भी किसान आज विरोध कर रहे हैं. इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि किसान पराली का क्या करें.

टिकैत ने कहा कि यदि पराली जलाई जाती है तो सरकार किसानों पर कार्रवाई कर रही है. हरियाणा में यदि कोई किसान पराली जलाता है तो उसकी फसल को दो साल तक मंडी में नहीं बेचा जाएगा. सरकार को बताना चाहिए कि कौन सी तकनीक से बिना पराली जलाए गेहूं की खेती हो सकती है. फिलहाल यह प्रदर्शन केवल पंजाब के किसानों द्वारा किया जा रहा है.

स्थायी समाधान की मांग और सरकार पर आरोप

21 अक्टूबर को, पंजाब के किसानों ने पराली जलाने के स्थायी समाधान की मांग की थी और कहा था कि पराली जलाना उनकी मजबूरी है. केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने आम आदमी पार्टी की सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह किसानों को पर्याप्त समर्थन देने में विफल रही है और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रही है.

First Updated : Saturday, 26 October 2024