फारूक अब्दुल्ला का बड़ा दावा: पाकिस्तान से बातचीत जरूरी, केंद्र का होगा फैसला!

नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में कहा कि पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए लेकिन इसका फैसला केंद्र सरकार को लेना चाहिए. उन्होंने SAARC को फिर से शुरू करने की उम्मीद भी जताई. साथ ही उन्होंने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद पर अपनी राय रखी. अब आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प होगा!

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Farooq Abdullah Big Claim: नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान से बातचीत की जरूरत को सामने रखा है. उनका कहना है कि पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना आवश्यक है लेकिन इस दिशा में फैसला केंद्र सरकार को लेना चाहिए.

फारूक ने स्पष्ट किया कि हमें सभी पड़ोसी देशों के साथ भाईचारा रखना चाहिए और बातचीत को बढ़ावा देना चाहिए. उनका कहना है, 'पाकिस्तान से बातचीत करनी है या नहीं ये हमारा नहीं, बल्कि केंद्र सरकार का काम है.'

SAARC को फिर से शुरू करने की उम्मीद

फारूक अब्दुल्ला ने SAARC (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) के पुनर्निर्माण की उम्मीद भी जताई. उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि केंद्र सरकार SAARC को फिर से शुरू करेगी ताकि हम खुशी से रह सकें.' उनका यह बयान तब आया है जब जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बड़ी जीत हासिल की है.

अमेरिका की भूमिका पर विचार

फारूक अब्दुल्ला ने इजराइल-फिलिस्तीन विवाद और मिडिल ईस्ट की मौजूदा स्थिति पर भी बात की. उन्होंने कहा कि भारत टू-नेशन थ्योरी का सबसे बड़ा समर्थक रहा है. इसके साथ ही, उन्होंने अमेरिका से भी अपील की कि वह मिडिल ईस्ट में अपनी नीति को फिर से समझे. 'अगर इजरायल नहीं भी होता तो भी अमेरिका इजराइल की स्थापना कर लेता,' उन्होंने कहा.

उमर अब्दुल्ला बने विधायक दल के नेता

इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस की विधायक दल की बैठक में उमर अब्दुल्ला को विधायक दल का नेता चुना गया. उमर ने विधायकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि वह इस विश्वास को सम्मान देंगे.

निर्दलीय विधायकों का समर्थन

उमर अब्दुल्ला ने यह भी बताया कि 7 में से 4 निर्दलीय विधायकों ने पार्टी को समर्थन दिया है, जिससे नेशनल कॉन्फ्रेंस का विधानसभा में आंकड़ा बढ़कर 46 हो गया है.

फारूक अब्दुल्ला का बयान इस बात का संकेत है कि भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. उनका यह दृष्टिकोण न केवल जम्मू-कश्मीर के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है. अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है. First Updated : Friday, 11 October 2024