Financial Emergency : आज 25 जून को पूरा देश काले अध्याय के रूप में याद कर रहा है। आज ही के दिन 25 जून 1975 को देश की त्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आधी रात को आपातकाल की घोषणा की गई थी। लेकिन क्या आप जानते हैं देश में वित्तीय आपातकाल का भी प्रावधान है। हालांकि अबतक देश में कभी भी वित्तीय आपातकाल नहीं लगाया गया है। अब हम इससे जुड़ी सभी जानकारी विस्तार से बताएंगे।
वित्तीय आपातकाल लगाने की स्थिति तब बनती है जब देश में अर्थव्यस्था चरमरा जाती है। इसका दूसरा कारण है वित्तीय स्थिरता को खतरा। अगर ऐसी परिस्थियां उत्पन्न हो जाए तो वित्तीय आपातकाल लागू किए जा सकते हैं। इसके बारे में संविधान के अनुच्छेद 360 में इसकी स्थिति को स्पष्ट किया गया है। इसके अलावा देश में आर्थिक मंदी के निचले स्तर पर पहुंच जाना और देश को जाने के लिए पर्याप्त धन नहीं तो उस हालात में किसी राज्य या देश में वित्तीय आपातकाल लगाया जा सकता है।
वित्तीय आपातकाल की घोषणा देश के राष्ट्रपति करते हैं। लेकिन यह केंद्र सरकार इसका ऐलान केंद्र सरकार ली सलाह पर किया जाता है। संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत राष्ट्रपति को वित्तीय आपातकाल की घोषणा का अधिकार दिया गया है। इसे घोषित करने के लिए 2 महीने के अंदर संसद के दोनों सदनों से साधारण बहुमत से पास करवाना अनिवार्य होता है।
वित्तीय आपातकाल को देश में लागू करने के बाद इसका प्रभाव कई क्षेत्रों में पड़ता है। इसके लागू हो जाने पर केंद्र सरकार किसी भी राज्य में वित्तीय हस्तक्षेप कर सकती है। साथ ही आदेश भी दे सकती है। इस दौरान सभी धन विधेयकों और वित्तीय बिलों पर राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी हो जाती है। First Updated : Sunday, 25 June 2023