Skin Bank: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में खुला उत्तर भारत का पहला ‘स्किन बैंक’, आग और एसिड अटैक पीड़ितों को मिलेगी राहत
आमतौर पर किसी व्यक्ति की मौत के 6 घंटे के अंदर ही स्किन डोनेट किया जाता है. आपको बता दें कि स्किन डोनेशन करने वाले व्यक्ति के स्किन को 3-5 सालों तक फ्रीजिंग प्रोसेस स्किन से स्टोर किया जा सकता है.
हाइलाइट
- नॉर्थ इंडिया का पहला हॉस्पिटल सफदरजंग में स्किन डोनेशन का काम शुरू
Skin Bank: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से आग में जले और एसिड अटैक पीड़ितों के लिए एक अच्छी ख़बर आई है. यहां उत्तर भारत के पहले स्किन बैंक का उद्घाटन किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा संचालित सफदरजंग अस्पताल में मंगलवार को ‘स्किन बैंक’ की शुरुआत हुई जहां ज़रूरतमंद मरीजों की मदद के लिए मृतक दाताओं की त्वचा को स्टोर किया जाएगा.
भारत में कितने स्किन बैंक हैं?
अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में यह अपनी तरह की पहली पहल है. भारत में 16 स्किन बैंक हैं, जो ज्यादातर महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में स्थित हैं. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ बीएल शेरवाल द्वारा मंगलवार को खोली गई मुफ्त सुविधा महत्वपूर्ण है क्योंकि कृत्रिम स्किन ग्राफ्टिंग एक उच्च लागत वाली प्रक्रिया है और बहुत कम लोग इसका लाभ उठा पाते हैं.
बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. शलभ कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पहले लोग उन्हें त्वचा दान के लिए संपर्क करते थे लेकिन वे इस पर कार्रवाई करने में असमर्थ थे. इस बैंक की स्थापना से अब काफी मदद मिलेगी.
जली हुई स्किन हो सकेगी ठीक
भारत में हर साल सात से एक करोड़ लोग झुलस जाते हैं और इनमें से 1.4 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं जबकि 1.5 लाख विभिन्न विकृतियों का शिकार हो जाते हैं. कैडेवरिक त्वचा मृत्यु दर को कम करने और इन रोगियों की उत्तरजीविता दर को बढ़ाने में मदद करेगी. यदि गंभीर रूप से जली हुई या क्षतिग्रस्त त्वचा को त्वचा के विकल्प से नहीं ढका जाता है, तो इससे संक्रमण हो सकता है.
त्वचा दान करने के लिए पहले खून की जांच और त्वचा का रंग टेस्ट किया जाता है. आमतौर पर किसी के मरने के 6 घंटे के अंदर जरूरतमंद को त्वचा दान की जाती है. बता दें कि त्वचा दान करने वाले वाले व्यक्ति की त्वचा को 3 से 5 सालों तक फ्रीजिंग के जरिए स्टोर किया जा सकता है.