Explainer: पूर्व सेना प्रमुख एमएम नरवणे की किताब पब्लिश होने से पहले पहुंची सेना के पास, जानें क्या है कारण?
MM Naravane: पूर्व जनरल एमएम नरवणे की किताब में साल 2020 में हुए पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के अलावा दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प और अग्निपथ योजना को लेकर अपनी बात रखी है.
Former Indian Army Chief General MM Naravane: भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के द्वारा लिखी किताब पर समीक्षा पर चर्चा तेज हो गई है. इस किताब में कुछ पैराग्राफ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर रेचिन ला में चीनी पीएलए टैंकों और सैनिकों की आवाजाही के बाद 31 अगस्त 2020 के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बातचीत का विवरण दिया गया है. चीनी और भारत के बीच सीमा विवाद के बारे में और अधिक जानकारी के साथ नरवणे का संस्मरण ऐसे वक्त में आया है जब सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच में कई दौर की बातचीत हो चुकी और लगातार आगे भी जारी रहने की उम्मीद है.
प्रकाशक से किताब छापने को रोका!
चीन और भारत की सीमा रेखा के बीच आखिरी बार पिछले साल में गोगरा-हॉट स्प्रिंग में डिसइन्गेजमेन्ट हुआ था, लेकिन वर्तमान समय में भारतीय सेना की डेपसांग और डेमचोक के पास पेट्रोलिंग पॉइन्ट्स पर पहुंच नहीं बन पाई है और यहां चीनी सेना की मौजूदगी बताई जा रही है. मीडिया की खबरों के अनुसार नरवणे किताब को छापने वाले प्रकाशक पेन्गुइन रैन्डम हाउस से अभी इसकी हार्ड और सॉफ्ट कॉपी को पब्लिश नहीं करने से गुजारिश की गई है. लेकिन इसी महीने एमएण नरवणे की किताब मार्केट में आ सकती है.
जनरल नरवणे की किताब में किन मुद्दों पर चर्चा?
पूर्व जनरल एमएम नरवणे की किताब में साल 2020 में हुए पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के अलावा दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प और अग्निपथ योजना को लेकर अपनी बात रखी है. अब यह बात जानने की कोशिश हो रही है कि पूर्व जनरल ने किताब लिखने से पहले क्या इस पर आधिकारिक रूप से क्लीयरेंस लिया गया था? हालांकि इस पर नरवणे ने कहा कि कई महीने पहले ही पब्लिशर्स को इस किताब की पांडुलिपि दी थी. अब किताब देरी से प्रकाशित हो रही है, इसका कारण तो वही बता सकते हैं.
चीनी सेना टैंक लेकर रेचिन ला की तरफ तेजी से बढ़ी
पीटीआई में छपे संस्मरण के कुछ में इस बात का जिक्र किया गया है कि जब साल 2020 में चीन और भारतीय सेना के बीच विवाद बढ़ा तो चीनी सेना टैंक लेकर रेचिन ला की तरफ तेजी से बढ़ रही थी. तब उन्होंने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से संपर्क साधा था. उस रात रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुलक्षा सलाहकार और चीफ़ ऑफ़ डिफेन्स स्टाफ़ के बीच कई फोन कॉल्स पर बातचीत चली थी. नरवणे ने कहा कि डिफेंस मिनिस्टर से बात करने के बाद मेरे मन में कई तरह के ख्यान आने लगे थे. नरवणे ने सीमा पर हो रही गतिविधि के बारे में सबकुछ रक्षा मंत्री को बताया था. तब राजनाथ सिंह ने कहा था कि वह उन्हें रात करीब 10:30 बजे फोन करेंगे.
यह सैन्या मामला है: राजनाथ सिंह
नरवणे ने संस्मरण में आगे लिखा कि राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री से बात करने के बाद कहा कि यह पूरी तरीके से सैन्य मामला है, आप अपनी परिस्थिति के अनुसार जो कुछ कर सको वो करो. उन्होंने उस वक्त मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे हाथ में एक जलती कढ़ाई रख दी गई हो. मैंने उस वक्त गहराई से सांस ली और मन शांत करके थोड़ी चुपचाप बैठ गया. उस दौरान कुछ सुनाई दे रहा था, वो सिर्फ घड़ी की सुई की टिक-टिक आवाज सुनाई दे रहा था.
16 जून की रात चीनी सेना को याद रहेगी
वहीं, जब गलवान घाटी में हुई दोनों देशों की सेना के बीच झड़प का जिक्र करते हुए एमएम नरवणने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 16 जून की रात इतनी जल्दी नहीं भूल पाएंगे. क्योंकि दो दशक में ऐसा पहली बार हो रहा है जब चीनी सैनिक गंभीर रूप से घायल हुए हैं.