MSP पर किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकराया, 21 को करेंगे दिल्ली कूच
Farmers protest: एमएसपी की गांरटी समेत कई मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की सरकार के साथ चौथे दौर की वार्ता फेल हो गई है. अब 21 और 22 फरवरी को किसान मोर्चा बैठक कर आगे की रणनीति तय करेगा. फिलहाल आंदोलन जारी रहेगा.
Farmers protest : किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की वार्ता में कोई ठोस हल नहीं निकला, लिहाजा बातचीत फेल हो गई. बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के MSP के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. केंद्र सरकार की तरफ से कथित रूप से एमएसपी पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया गया था. किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं किया जाएगा.
किसानों ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स में उनको पता चला कि केंद्र सरकार A2+FL+50% के आधार पर एमएसपी पर अध्यादेश लाने की योजना बना रही है. इस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं किया जाएगा.
फसल खरीद के कॉन्ट्रक्ट का प्रस्ताव
किसान संगठनों का कहना है कि किसानों के सामने मक्का, कपास, अरहर/तूअर, मसूर और उड़द समेत पांच फसलों को खरीजने के लिए पांच साल का कॉन्ट्रेक्ट प्रस्ताव रखा गया था. इस पर किसान मोर्चे ने स्पष्ट किया है कि वे सी2+50% के फॉर्मूले के आधार पर ही MSP की गारंटी चाहते हैं. किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि बीजेपी ने खुद 2014 के चुनाव में अपने घोषणा-पत्र में इस बात का वादा किया था.
'सरकार नहीं पूरे कर पा रही वादे, तो पीएम दें जवाब'
किसान मोर्चे ने कहा कि स्वानिथान आयोग ने साल 2006 में केंद्र सरकार को C2+50% के आधार पर एमएसपी देने का सुझाव दिया था. इसी के आधार पर तमाम फसलों पर वह एमएसपी की गारंटी चाहते हैं. इसके जरिए किसान अपनी फसल एक तय कीमत पर बेच सकेंगे और उन्हें नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा. मोर्चा ने कहा कि अगर मोदी सरकार बीजेपी के वादे को लागू नहीं कर पा रही है तो प्रधानमंत्री ईमानदारी से जनता को बताएं.
सरकार से क्या हैं किसानों की मांगें
किसान मोर्चे ने केंद्रीय मंत्रियों के सामने कई तरह की मांगों को रखा है. इनमें किसानों की ऋण माफी, बिजली का निजीकरण न करने की मांग, सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये मासिक पेंशन, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की भी मांग शामिल है.
21-22 को किसान मोर्चा करेगा बैठक, बनेगी नीति
किसान मोर्चा ने अपने बयान में कहा कि मोदी सरकार हरियाणा पंजाब में धरना दे रहे किसानों के साथ सख्ती बरतने से बाज आए. मोर्चे ने किसान विरोधी नीतियों और कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को जनता के बीच उजागर करने की बात कही. किसान मोर्चा अगली मीटिंग 21-22 फरवरी तक करेगा, जहां आगे की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी.