बेंगलुरु को 'सिलिकॉन वैली' बनाने में नहीं छोड़ी कोई कसर, मुख्यमंत्री से विदेश मंत्री... ऐसा रहा MS कृष्णा का सियासी सफर
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और बेंगलुरु को आईटी हब बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले एसएम कृष्णा का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, 'एसएम कृष्णा एक असाधारण नेता थे, जिनकी प्रशंसा सभी क्षेत्रों के लोग करते थे.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सोमनहल्ली मल्लैया कृष्णा (एसएम कृष्णा) का मंगलवार सुबह 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने बंगलूरू में अपने घर पर अंतिम सांसें लीं. कृष्णा के परिवार में उनकी पत्नी प्रेमा कृष्णा और दो बेटियां मालविका कृष्णा और शांभवी कृष्णा हैं. एसएम कृष्णा उम्र का हवाला देते हुए जनवरी 2023 में सक्रिय राजनीति से रिटायर हो गए थे और इसके साथ ही वह पांच दशकों से अधिक की सार्वजनिक सेवा की विरासत छोड़ गए.
भारतीय राजनीति में एक कद्दावर हस्ती कृष्णा को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल (1999-2004) के दौरान शहर की आईटी क्रांति को बढ़ावा देकर बेंगलुरु को भारत की ‘सिलिकॉन वैली' में बदलने का श्रेय दिया जाता है. दरअसल, उनके कार्यकाल के दौरान ही आईटी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए गए थे. इसी का परिणाम था कि बंगलूरू भारत की 'सिलिकॉन वैली' कहा जाने लगा.
कैसा रहा एमएस कृष्णा का राजनीतिक करियर
अपने पांच दशक के राजनीतिक करियर में 92 वर्षीय कृष्णा ने केंद्र और राज्य सरकार में जो भूमिकाएं निभाईं, बहुत कम ऐसे राजनेता होंगे, जिन्होंने उनके जैसे पदों पर काम किया होगा. उन्होंने विधान परिषद्, विधानसभा सदस्य, अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय विदेश मंत्री और राज्यपाल के रूप में कार्य किया. कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली में एक मई, 1932 को जन्मे कृष्णा ने 1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज केवी शंकर गौड़ा के खिलाफ मद्दुर सीट से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल करके अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की थी. बाद में वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से जुड़े और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए.
मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री रहे
कानून में विशेषज्ञ कृष्णा 1989 में कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष बने और 1992 में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री बने.1996 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए और अक्टूबर 1999 तक इसके सदस्य रहे.1999 के विधानसभा चुनाव से पहले वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष थे, जिसमें पार्टी ने जीत हासिल की.वह अक्तूबर 1999 से मई 2004 तक मुख्यमंत्री रहे.उन्होंने दिसंबर 2004 से मार्च 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्य किया और मई 2009 से अक्टूबर 2012 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया.
कांग्रेस से 50 साल पुराना नाता खत्म किया
2017 में वह भाजपा में शामिल हो गए, जिससे कांग्रेस के साथ उनका लगभग 50 साल पुराना नाता खत्म हो गया. उन्होंने सात जनवरी, 2023 को राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की.
वकील और स्कॉलर
1 मई, 1932 को मांड्या जिले के सोमनहल्ली में जन्मे कृष्णा अपनी शैक्षणिक योग्यता के लिए जाने जाते थे. मैसूर के महाराजा कॉलेज से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होंने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की और बाद में डलास में दक्षिणी मेथोडिस्ट विश्वविद्यालय और जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय में उन्नत अध्ययन किया, जहां वे फुलब्राइट स्कॉलर थे. राजनीति में प्रवेश करने से पहले, कृष्णा रेणुकााचार्य लॉ कॉलेज में इंटरनेशनल लॉ के प्रोफेसर के थे.
राजनीतिक हाईलाइट्स
- 1989 से 1993 तक कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष
- 1992 में कर्नाटक के डिप्टी चीफ मिनिस्टर
- 1999 से 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री
- 2004 से 2008 तक महाराष्ट्र के गवर्नर
- 2009 से 2012 तक विदेश मंत्री