गांधी परिवार की बहू से लेकर देश की सबसे पुरानी पार्टी की अध्यक्ष...कैसा रहा सोनिया गांधी का सियासी सफर?

सोनिया गांधी 1968 में इटली से भारत आईं और राजीव गांधी से शादी हुई. राजीव गांधी की हत्या के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा. 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनीं और 2004 में यूपीए सरकार का नेतृत्व किया. विदेशी मूल पर विवाद के कारण उन्होंने प्रधानमंत्री पद नहीं अपनाया और डॉ. मनमोहन सिंह को नामित किया

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

गांधी परिवार की बहू सोनिया गांधी आज अपना 78वां जन्मदिन मना रही हैं. 9 दिसंबर 1946 को इटली के वेनेटो क्षेत्र के लुसियाना नामक छोटे से गांव में जन्मी एक बच्ची के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि यह आगे चलकर भारतीय राजनीति का एक बड़ा चेहरा बनेगी और भारत की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष बनेंगी. सोनिया गांधी आज दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में शुमार हैं.

सोनिया गांधी ने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में एक भाषा स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाई के दौरान राजीव गांधी से मुलाकात की. राजीव, जो उस समय मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे थे, 1968 में सोनिया से शादी के बाद उन्हें भारत ले आए. शादी के बाद सोनिया माइनो पक्की भारतीय गृहणी हो गईं. साड़ी अथवा सलवार सूट ही उनका पहनावा हो गया. सास और पति का हर आदेश उन्हें शिरोधार्य था.

अचानक राजीव का PM बनना

फिर जून 1980 में संजय गांधी की एयर क्रैश में मृत्यु के बाद मेनका के अपनी सास से रिश्ते बिगड़ जाना तथा सास का घर छोड़ देना आदि तमाम घटनाएं ऐसी घटीं, जिससे स्वयं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी घबराने लगीं. उन्होंने बड़े बेटे राजीव गांधी को अमेठी से उप चुनाव लड़वा दिया. यह सीट संजय गांधी की मृत्यु के कारण खाली हुई थी. 

ऐसे शुरू हुई सियासी पारी

1980 में संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने. सोनिया गांधी ने इस दौरान राजनीति से दूरी बनाए रखी और कला संरक्षण के क्षेत्र में काम किया. लेकिन 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी को कांग्रेस का नेतृत्व संभालने का प्रस्ताव मिला, जिसे उन्होंने शुरुआत में ठुकरा दिया.

अध्यक्ष की कमान से सरकार बनाने तक का सफर

27 दिसंबर 1997 को अकबर रोड जा कर उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ली. 62 दिन बाद 5 मार्च 1998 को सीताराम केसरी अध्यक्ष पद से हटा दिए गए और सोनिया को यह जिम्मेदारी सौंपी गई. फिर नवंबर 2000 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव कराने की घोषणा हुई. सोनिया गांधी का चुनाव निर्विरोध जीता जाना तय था. मगर नामांकन के अंतिम दिन जितेंद्र प्रसाद ने परचा भर कर सनसनी मचा दी. सोनिया गांधी यह चुनाव जीतीं और 2017 तक उन्हें चुनौती देने वाला कोई नहीं सामने आया. इस बीच वे लोकसभा में नेता विरोधी दल रहीं और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की चेयरपर्सन चुनी गईं.

साल 2004 में जब कांग्रेस की अगुआई वाले UPA ने केंद्र में सरकार बनाई तब सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री बनना तय समझा जा रहा था. परंतु उनके विदेशी मूल का होने के कारण भाजपा और खुद UPA के कई दलों ने वितंडा खड़ा किया. इस मौके पर बड़े शांत मन से सोनिया गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवाया.

पार्टी की कमान पुत्र को सौंपी

मनमोहन सिंह खोज तो नरसिंह राव के थे, मगर अब वे सोनिया गांधी के प्रति निष्ठावान थे. सरकार के मुखिया भले मनमोहन सिंह थे लेकिन संगठन की ताकत 10 जनपथ के पास थी. हर असंतुष्ट सोनिया गांधी के दरबार में जाता. 2014 तक लगातार दो बार मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे परंतु खुल कर काम नहीं कर पाए. 2014 में पहली बार भाजपा लोकसभा में स्पष्ट बहुमत के साथ पहुंची और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने. उनके कार्यकाल के दौरान भी सोनिया गांधी तीन साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं.

साल 2017 में उन्होंने कांग्रेस की कमान अपने बेटे राहुल गांधी को सौंपी. किंतु 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हारी. दुखी हो कर राहुल गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष पद छोड़ दिया. सोनिया गांधी ने फिर से कांग्रेस की अध्यक्षता ग्रहण की लेकिन उन्होंने कहा, वह नए अध्यक्ष के चुने जाने तक ही अध्यक्ष रहेंगी. इस तरह वे 2022 में कांग्रेस का चुनाव होने तक अंतरिम अध्यक्ष रहीं.

सोनिया आज भी उतनी ही ताकतवर

26 अक्तूबर 2022 को मल्लिकार्जुन खरगे ने कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाला. सोनिया गांधी ने तब अगला लोकसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी. जिस रायबरेली सीट से वे 1999 से लगातार जीतती आ रही थीं, उससे 2024 के चुनाव में उनके पुत्र राहुल गांधी चुनाव लड़े और जीते. सोनिया गांधी अब राज्य सभा सदस्य हैं. पिछले तीन दशकों से सोनिया गांधी देश की संसदीय राजनीति में छाई हुई हैं.

सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सोनिया गांधी के नाम से भयभीत रहता है. इंदिरा गांधी की बहू, राजीव गांधी की पत्नी के रूप में वे 1968 में भारत आईं. किंतु राजनीति में उनकी सक्रियता पति की मृत्यु के बाद शुरू हुई. 1991 से 1997 तक छह साल वे मौन रहीं. लोग उन्हें गूंगी गुड़िया समझते रहे. लेकिन 1998 में प्रकट हुई सोनिया गांधी 2004 में साक्षात रणचंडी बन गईं. अभी भी कांग्रेस में उनके बिना पार्टी की कल्पना अधूरी लगती है.

calender
09 December 2024, 04:44 AM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो