Timeline: चंद्रयान-2 की नाकामयाबी से लेकर चंद्रयान-3 की 'कामयाबी' तक का सफर..
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में सफल नहीं हो पाया था. सॉफ्ट लैंडिंग का पुनः सफल प्रयास करने के लिए इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था.
हाइलाइट
- चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है मिशन चंद्रयान-3
- 2007 में शुरू हुई थी चंद्रयान-2 की अभियान
- 22 जुलाई 2019 को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2
Chandrayaan-3: अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लिए आज यानी 23 अगस्त का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-3 मिशन इतिहास रचने के दहलीज पर है. मिशन का लैंडर मॉड्यूल चांद की सतह से केवल 25 से 150 किलोमीटर की दूरी पर चक्कर काट रहा है. आज 23 अगस्त की शाम छह बजकर चार मिनट पर यह चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला है. इसरो के वैज्ञानिकों ने इस महत्वाकांक्षी मिशन के लिए कई वर्षों तक काफी संघर्ष किया है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कराकर ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन जाएगा.
चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है मिशन चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बादअंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में सफल नहीं हो पाया था. जिसके बाद सॉफ्ट लैंडिंग का पुनः सफल प्रयास करने के लिए इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था.
2007 में शुरू हुई थी चंद्रयान-2 की अभियान
12 नवंबर 2007 को इसरो और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी (रोसकॉस्मोस) के बीच चंद्रयान-2 परियोजना पर काम करने को लेकर समझौता हुई थी. जिसमें यह तय हुआ था कि ऑर्बिटर तथा रोवर की मुख्य जिम्मेदारी इसरो की होगी तथा रोसकोसमोस लैंडर के लिए जिम्मेदार होगा. हालांकि रूस द्वारा लैंडर को समय पर विकसित करने में असफल होने के कारण अभियान को जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया, तथा अभियान को 2016 के लिये पुनर्निर्धारित कर दिया गया.
रोसकॉस्मोस को बाद में मंगल ग्रह के लिए भेजे फोबोस-ग्रन्ट अभियान में मिली विफलता के कारण चंद्रयान-2 कार्यक्रम से अलग कर दिया गया तथा भारत ने चंद्र मिशन को स्वतंत्र रूप से विकसित करने का फैसला किया.
22 जुलाई 2019 को लॉन्च हुआ था चंद्रयान-2
चंद्रयान-1 के बाद चंद्रमा पर खोजबीन करने के उद्देश्य से इसरो ने चंद्रयान-2 अभियान की शुरूआत की थी. जिसे 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा रेंज से भारतीय समय अनुसार 02: 43 बजे लॉन्च किया गया था.
8 सितंबर 2019 को इसरो ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑर्बिटर द्वारा लिए गए ऊष्माचित्र से विक्रम लैंडर का पता चल गया है. परंतु अभी चंद्रयान-2 से संपर्क नहीं हो पाया है.
फिर हुई मिशन चंद्रयान-3 की शुरूआत
6 जुलाई: इसरो ने बहुप्रतिक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लान्चिंग की तारीख का ऐलान किया. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा.
इसरो इस योजना पर बीते चार साल से काम कर रहा था. इससे एक दिन पहले एजेंसी ने कहा था कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया. वहीं सभी वाहन विद्युत परीक्षण सात जुलाई को सफलतापूर्वक संपन्न हुए.
11 जुलाई: इसरो ने चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतारने का पूर्वाभ्यास किया. इसरो की ओर से एक ट्वीट में बताया कि लॉन्च की पूरी तैयारी और प्रक्रिया का डमी रूप में 24 घंटे का पूर्वाभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.
14 जुलाई: भारत के तीसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' को लॉन्च किया गया. मिशन को भेजने के लिए LVM-3 लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया.
15 जुलाई: चंद्रयान-3 ने पहली कक्षा पूरी की. मतलब उसकी पहली कक्षा बदली. अंतरिक्ष यान 41762 किमीx 173 किमी की कक्षा में पहुंचा.
17 जुलाई: भारत के अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की दूसरी कक्षा में प्रवेश किया. तब चंद्रयान-3 पृथ्वी से 41,603 किलोमीटर x226 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद था.
18 जुलाई: चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की तीसरी कक्षा में प्रवेश किया. चंद्रयान-3 पृथ्वी से 51,400 किलोमीटर x228 किलोमीटर दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद था.
20 जुलाई: अंतरिक्ष यान को 71351 किमी x 233 किमी की चौथी कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया.
25 जुलाई: चंद्रयान-3 के कक्षा बदलने की पांचवीं प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) सफलतापूर्वक पूरी हो गई.
1 अगस्त: चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से निकालकर सफलतापूर्वक चांद की कक्षा की तरफ रवाना किया गया. इसरो ने कहा कि 'चंद्रयान-3 ने पृथ्वी की कक्षा का चक्कर पूरा कर लिया है और अब यह चांद की तरफ बढ़ रहा है.
5 अगस्त: चंद्रयान-3 164 किमी x 18074 किमी की दूरी पर चंद्र कक्षा में पहुंचा.
6 अगस्त: चंद्रमा के चारों ओर मिशन की कक्षा घटाकर 170 किमी x 4,313 किमी कर दी गई.
9 अगस्त: धीरे-धीरे इसकी गति को घटाते हुए चंद्रमा की अगली कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया जारी रही. दोपहर दो बजे के आसपास इसे तीसरी कक्षा में प्रवेश कराया गया.
14 अगस्त: चंद्रयान-3 को चौथी कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया की गई। इस दिन मिशन 151 x 179 किलोमीटर की कक्षा के गोलाकार चरण पर पहुंच गया.
16 अगस्त: पांचवीं कक्षा में पहुंचाने की प्रक्रिया पूरी हुई. फायरिंग के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में पहुंच गया.
17 अगस्त: लैंडिंग मॉड्यूल को इसके प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया गया.
18 अगस्त: 'डीबूस्टिंग' प्रक्रिया को अंजाम दिया जिसने इसकी कक्षा को 113 किमी x 157 किमी तक कम कर दिया गया.
20 अगस्त: चंद्रयान-3 ने अपना अंतिम डीबूस्ट ऑपरेशन पूरा किया, जिससे विक्रम लैंडर की कक्षा 25 किमी x 134 किमी तक नीचे आ गई.
23 अगस्त: चंद्रयान-3 मिशन इस दिन शाम को चांद पर लैंड कराया जाएगा. हालांकि, इससे पहले विक्रम लैंडर के लिए अनुकूल स्थितियों को पहचाना जाएगा. इसरो के मुताबिक, लैंडिंग के लिए निर्धारित समय से ठीक दो घंटे पहले यान को उतारने या न उतारने पर अंतिम फैसला होगा. इसरो के वैज्ञानिक नीलेश एम देसाई के मुताबिक, अगर चंद्रयान 3 को 23 अगस्त को लैंड नहीं कराया जाता है, तो फिर इसे 27 अगस्त को भी चांद पर उतारा जा सकता है.