Konark Chakra: आज यानी शनिवार को G20 शिखर सम्मेलन में आए मेहमानों का स्वागत जब पीएम मोदी कर रहे थे तो उनके पीछे एक चक्र या यूं कहें कि एक पहिया नूमा छवि उकेरी हुई था. वैसे तो जिस भारत मंडपम में पूरा कार्यक्रम हो रहा है वहां प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनेकों प्रतीक मौजूद हैं लेकिन इस चक्र ने विशेष रूप से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. प्रधानमंत्री मोदी ने इस चक्र के बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन को इस प्रतीक का महत्व भी समझाया.
पीएम मोदी जिस प्रतीक के सामने खड़े होकर अतिथियों का स्वागत कर रहे थे वह 'कोणार्क चक्र' है. जिसे अंग्रेजी में कोणार्क व्हील भी कहा जाता है. बता दें कि इस प्रतीक की मूल कृति ओडिशा के कोणार्क मंदिर में मौजूद है. कोणार्क मंदिर सूर्यदेव को समर्पित है.
इस चक्र को 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव प्रथम के शासनकाल में बनवाया गया था. इस चक्र को सूर्य के रथ के पहिए के रूप में माना जाता है. यह चक्र इस बात का प्रतीक है कि कालचक्र निसंतर जारी रहता है. माना जाता है कि यह चक्र निरंतर प्रगति और परिवर्तन का संदेश देता है.
पीएम मोदी जिस चक्र के सामने खड़े होकर दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत कर रहे थे वह कोणार्क चक्र संदेश देता है कि समय हमेशा एक सा नहीं रहता यह बदलता रहता है. पीएम मोदी ने भी आज अमेरिकी राष्ट्रपति को चक्र का यही मतलब समझाया.
हमारे तिरंगे में 24 तीलियों वाला जो चक्र दिखता है वह भी यही है. यह चक्र जहां एक ओर निरंतर प्रगति और परिवर्तन का संदेश देता है वहीं दूसरी तरफ प्राचीन भारतीय ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है. First Updated : Saturday, 09 September 2023