G20 Summit 2023: राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन में 20 ताकतवर देशों के राष्ट्राध्यक्ष और कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए थे. 10 सितंबर यानी रविवार को जी20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे थे. इस दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, यूके के पीएम ऋषि सुनक, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और कई अन्य नेता राजघाट पर दिखाई दिए.
जी20 के ज्यादातर नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी. हालांकि, इन नेताओं में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान शामिल नहीं हुए थे. अब कई लोग उनके राजघाट नहीं पहुंचने और बापू को श्रद्धांजलि नहीं देने की वजह जानना चाहते हैं? इस मसले को लेकर जानकारों का कहना है कि राजघाट पर प्रिंस मोहम्मद के शामिल नहीं होना महात्मा गांधी का किसी तरह से अनादर करना नहीं है बल्कि उनकी 'सलफ़ी' विचारधारा मानी जा रही है.
दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के जाकिर हुसैन इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक स्टडीज के पूर्व निदेशक और प्रोफेसर अख्तरुल वासे का कहना है, "सलफ़ी या जिन्हें अहले हदीस कहते हैं वो किसी तरह की समाधि या मजार पर नहीं जाते हैं." इस्लामिक स्कॉलर जफरुल इस्लाम खान कहते है कि उनके (सलफी विचारधारा को मानने वाले) यहाँ तो 'कब्र को पक्का बनाना तक गलत माना जाता है.'
इस्लामी न्यायशास्त्र यानी फिक्ह (ज्यूरिशप्रूडेंस) के हनफ़ी, शफ़ई, मालिकी, हम्बली और जाफ़री पांच प्रमुख सिद्धांत हैं. जाफ़री शिया समुदाय से संबंधित है. जबकि बाकी के चारो सुन्नी समुदाय से जुड़े हुए है.
सलफी या अहले हदीस खुद को इन सबसे अलग मानते हैं. माना जाता है कि ये विचारधारा इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद की मौत के सदियों बाद सामने आई है. अहले हदीस केवल इस्लाम के पवित्र ग्रंथ कुरान और हदीस के अनुसार इस्लाम धर्म को मानते हैं. First Updated : Tuesday, 12 September 2023