गडकरी ने सुरंग निर्माण कंपनियों की गुणवत्ता पर उठाए सवाल, विदेशी कंपनियों को हिस्सेदारी देने की पेशकश
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सुरंग निर्माण कंपनियों की गुणवत्ता पर चिंता जताते हुए कहा कि कुछ कंपनियां जो अन्य क्षेत्रों में हैं वो अब सुरंग निर्माण में भी शामिल हो गई हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि विदेशी कंपनियों को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाए ताकि केवल सक्षम कंपनियां ही काम करें. इसके अलावा गडकरी ने लॉजिस्टिक लागत कम करने की जरूरत पर भी जोर दिया जिससे निर्यात में वृद्धि हो सके.
New Delhi: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में सुरंग निर्माण से जुड़ी कंपनियों की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियां जिनका मूल काम खानपान या ब्यूटी पार्लर चलाना है, वो आजकल सुरंग निर्माण में भी उतर आई हैं. गडकरी का कहना है कि इन कंपनियों द्वारा किए जा रहे काम की गुणवत्ता पर गंभीर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
गडकरी ने सुरंग निर्माण और इसकी गुणवत्ता में सुधार के लिए एक नया प्रस्ताव दिया है. उनका कहना है कि सुरंग निर्माण में लगे संयुक्त उद्यमों में विदेशी कंपनियों को 51 प्रतिशत हिस्सेदारी देना चाहिए. इसके पीछे उनका तर्क है कि ऐसा करने से केवल गंभीर और तकनीकी रूप से सक्षम कंपनियां ही सुरंग परियोजनाओं के लिए बोली लगाएंगी. भारतीय कंपनियों के लिए 49 प्रतिशत हिस्सेदारी छोड़ी जानी चाहिए, ताकि गुणवत्ता पर समझौता न हो.
गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं: गडकरी
गडकरी ने कहा कि सुरंग निर्माण में गुणवत्ता की बहुत अहमियत है और इसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी और वित्तीय मापदंडों में कुछ हद तक छूट दी जा सकती है लेकिन गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने वाले कंपनियों को दोषी ठहराया, जो भूस्खलन जैसी समस्याओं का कारण बनती हैं खासकर उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्रों में.
लॉजिस्टिक लागत कम करने से निर्यात बढ़ेगा: गडकरी
इसके अलावा गडकरी ने लॉजिस्टिक लागत को कम करने पर भी जोर दिया. उनका कहना है कि अगर लॉजिस्टिक लागत को नौ प्रतिशत तक कम किया जा सके तो निर्यात में 1.5 गुना वृद्धि हो सकती है. वर्तमान में, भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 7.8 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत के बीच है और इसे कम करने की आवश्यकता है. गडकरी का यह प्रयास सुरंग निर्माण की गुणवत्ता और लॉजिस्टिक लागत को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.