बीजेपी में 'दागी' नेताओं की एंट्री पर बोले-नितिन गडकरी, 'जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, बीमारियां भी आती हैं'

बीजेपी में 'दागी' नेताओं की एंट्री को लेकर नितिन गडकरी ने अपनी चिंता जाहिर की है. उन्होंने इसे फसल में बीमारियों के आने जैसा बताया और पार्टी को साफ-सुथरी छवि बनाए रखने की बात की. गडकरी ने नए नेताओं को पार्टी की विचारधारा से जोड़ने की अहमियत पर भी जोर दिया. साथ ही, उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और धर्मनिरपेक्षता को लेकर भी कुछ अहम विचार रखे. जानिए गडकरी के इस बयान का मतलब क्या है और बीजेपी को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है!

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Edited By: JBT Desk

Nitin Gadkari Statement: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में बीजेपी में शामिल हो रहे 'दागी' नेताओं पर अपनी चिंता जताई है. उनका कहना है कि जैसे-जैसे बीजेपी पार्टी का विस्तार हो रहा है, वैसे-वैसे कुछ ऐसे नेता भी पार्टी में शामिल हो रहे हैं, जिनके खिलाफ विवाद रहे हैं. गडकरी ने इस मुद्दे को लेकर एक अहम बयान दिया और कहा कि पार्टी को अपनी वैचारिक अखंडता बनाए रखते हुए इन मामलों पर ध्यान देना चाहिए.

फसल की तरह बीमारियां बढ़ती हैं

गडकरी ने बीजेपी के तेज़ी से बढ़ते विस्तार पर बात करते हुए एक उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, 'जैसे-जैसे फसल बढ़ती है, बीमारियां भी बढ़ती हैं.' उनका इशारा था कि जब कोई संगठन तेजी से बढ़ता है, तो उसके साथ कुछ समस्याएं और चुनौतियां भी आती हैं. गडकरी ने बीजेपी के बढ़ते आकार को एक अच्छी फसल के उदाहरण से जोड़ा, जिसमें कुछ बीमारियां भी शामिल होती हैं. उनका कहना था कि इन बीमारियों को दूर करने के लिए पार्टी को सावधानीपूर्वक कदम उठाने होंगे और साथ ही नए नेताओं को अपने विचारधारा से जोड़ने की जरूरत है.

नए नेताओं को वैचारिक प्रशिक्षण देने पर जोर

गडकरी ने इस बात पर भी जोर दिया कि पार्टी में शामिल होने वाले नए नेताओं को सही वैचारिक प्रशिक्षण देना जरूरी है. उनका कहना था, 'भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और अलग-अलग कारणों से नए लोग पार्टी में आ रहे हैं. इन नए सदस्यों को पार्टी की विचारधारा से जोड़ना और उन्हें कार्यकर्ता बनाना हमारी जिम्मेदारी है.' गडकरी ने यह भी कहा कि कभी-कभी एक गलत बयान पूरे संगठन की मेहनत पर पानी फेर सकता है, इसलिए सभी नेताओं को अपने शब्दों और कार्यों के प्रति सजग रहना चाहिए.

धर्मनिरपेक्षता पर गडकरी का बयान

इस दौरान, गडकरी ने भारतीय संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को भी महत्वपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, 'राज्य, सरकार और प्रशासन को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए, लेकिन कोई व्यक्ति धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता.' उनका यह बयान सरकार और प्रशासन के धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को स्पष्ट करता है. गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार का धर्मनिरपेक्ष होना जरूरी है, ताकि सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और न्याय सुनिश्चित किया जा सके.

महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के नेतृत्व पर विश्वास

गडकरी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर भी अपनी राय रखी और कहा कि उन्हें राज्य के स्थानीय नेतृत्व पर पूरा विश्वास है. उन्होंने कहा, 'मुझे महाराष्ट्र में कोई भूमिका निभाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यहां के नेता पूरी तरह से सक्षम हैं. अगर भविष्य में उन्हें मेरी मदद की जरूरत हुई, तो मैं उन्हें मदद देने के लिए तैयार हूं.'

बीजेपी को साफ-सुथरी छवि बनाए रखना है जरूरी

गडकरी का यह बयान बीजेपी के भीतर चल रही दिक्कतों और पार्टी के तेजी से बढ़ते आकार को लेकर एक संकेत है. उनकी बातों से साफ है कि बीजेपी को अपनी आंतरिक राजनीति और पार्टी के नेतृत्व में किसी तरह की गड़बड़ी से बचने के लिए सतर्क रहना होगा. साथ ही, पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि नए नेता पार्टी की विचारधारा को सही ढंग से अपनाएं और संगठन की छवि को बनाए रखें. 

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10 November 2024, 08:01 AM IST

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