गया में पिंड दान: भारतीय संस्कृति के रंग में रंगे विदेशी श्रद्धालु
Pitru Paksha Mela 2024: बिहार के गया में होने वाला पितृपक्ष मेला हर बार से अलग रहा, क्योंकि इस बार विदेशी नागरिकों ने भी अपने पितरों का पिंडदान किया. पितृपक्ष में भारत के लोग अपने पितरों को पिंड दान करते हैं.
Pitru Paksha Mela 2024: हिंदू धर्म को मानने वाले लोग हर साल अपने पितरों को पिंड दान करने के लिए गया में आते हैं. पितृपक्ष के मेले में सनातन धर्म को मानने वाले लाखों लोग अपने पितरों का पिंड दान करने आते हैं. इस दौरान पिंड दान की वैदिक प्रक्रिया पूरी की जाती है. इस दौरान श्रद्धालु कई किलोमीटर चलकर गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर और सूर्य मंदिर तक पहुंचते हैं, लेकिन इस बार जो सबसे दिलचस्प बात थी, वह यह थी कि यहां पर सिर्फ भारतीय ही नहीं, बल्कि कई विदेशी पर्यटक भी पिंड दान में शामिल हुए.
विदेशी श्रद्धालुओं ने अपनी संस्कृतियों से बाहर आकर इस प्राचीन भारतीय परंपरा का अनुभव किया. इनमें से कुछ पर्यटक अमेरिका, इंग्लैंड, नेपाल, और बांगलादेश से आए थे. उनके लिए पिंड दान एक आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बन गया, जो उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने वाला अनुभव था. यहां पर आने वाले विदेशी नागरिकों ने बताया कि वे इस पवित्र क्रिया का हिस्सा बनकर बहुत आह्लादित महसूस कर रहे थे, क्योंकि उन्हें भारतीय संस्कृति की गहराई को समझने का अवसर मिला.
गया के मेले में क्या चल रहा?
इस मेले में पिंड दान के अलावा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिनमें भारतीय संगीत, नृत्य और भजन कीर्तन ने वातावरण को एक भक्तिमय रंग दिया. स्थानीय प्रशासन और पूजा अर्चना समितियों ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं का खास ध्यान रखा, ताकि उनका धार्मिक अनुभव सहज और सुरक्षित रहे.
विदेशी बने भारतीय संस्कृति का हिस्सा
इस आयोजन ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि भारत की पारंपरिक धार्मिक धारा सिर्फ भारतीयों के लिए नहीं, बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. पितृपक्ष मेला, जहां भारतीयों के लिए पितरों का आशीर्वाद पाने का अवसर होता है, वहीं विदेशी श्रद्धालुओं के लिए भारतीय संस्कृति का हिस्सा बनने का एक अनूठा अवसर बन गया है.