Goa: गोवा बाक़ी राज्यों की तरह 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता, जानिए क्या है वजह

Goa: भारत का एक राज़्य ऐसा भी है जो 15 अगस्त को देश की आज़ादी का जश्न नहीं मनाता है. इस राज्य के आज़ादी न मनाने के पीछे एक बहुत बड़ा मकसद है.

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Goa: मंगलवार, 15 अगस्त को भारत अपना 77 वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. यह दिन देश के हर नागरिक को उन क़ुर्बानियों की याद दिलाता है जो स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश शासन से आज़ादी पाने के लिए किए थे. यह एक उत्सव है जो पूरे देश में मनाया जाता है. इस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'हर घर तिरंगा' अभियान शुरू किया है. इसके लिए पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की डीपी बदलकर तिरंगा को डीपी के तौर पर लगा लिया है. उन्होंने ट्वीट कर देशवासियों से तिरंगे को डीपी बनाने की अपील की है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि देश का एक राज्य ऐसा भी है जहां 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है. वो राज्य है गोवा. हालांकि, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. आइये जानते हैं आखिर क्यों गोवा में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है. 

भारत को अंग्रेजों से आज़ादी मिलने के 14 साल बाद तक गोवा राज्य 19 दिसंबर, 1961 तक औपनिवेशिक शासन के अधीन रहा. 1600 में अंग्रेजों के भारत में कदम रखने से बहुत पहले, 1510 से गोवा एक पुर्तगाली उपनिवेश था. और अंग्रेजों के चले जाने और भारत के एक संप्रभु राष्ट्र बनने के लंबे समय बाद भी, पुर्तगालियों ने भारत को गोवा सौंपने से इनकार कर दिया. पुर्तगालियों ने गोवा सुंदर भूमि, प्राकृतिक सुंदरता और मसाला व्यापार के कारण इस छोटे से राज्य पर 450 से अधिक सालों तक शासन किया. व्यापारियों में, पुर्तगाली भारत पर उपनिवेश बनाने या कब्जा करने वाले पहले थे, और देश छोड़ने वालों में सबसे आख़िरी थे.

राम मनोहर लोहिया ने जगाई थी आज़ादी की अलख 

भारत में पुर्तगाली शासन के अंत की शुरुआत 18 जून, 1946 को शुरू हुई. जब भारत स्वतंत्रता की ओर बढ़ रहा था, स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता राम मनोहर लोहिया लेखक डॉ जूलियाओ मेनेजेस के साथ गोवा की यात्रा पर गए. यहां गोवावासियों की दुर्दशा के बारे में जानने के बाद, लोहिया ने राज्य में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और आंदोलन को दबा दिया गया. 

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इस आंदोलन को जल्द ही गोवा में युवा नेताओं और सेनानियों के बीच प्रमुखता मिली और प्रभाकर विट्ठल सिनारी ने अपने करीबी लोगों के साथ आजाद गोमांतक दल (एजीडी) का गठन किया. कुछ समय बाद, एजीडी, अन्य राज्यों के राष्ट्रवादियों के समर्थन से यूनाइटेड फ्रंट ऑफ लिबरेशन नामक एक बड़ा गठबंधन बन गया, जिसने पहले नरोली, दादरा और नगर हवेली को पुर्तगाली उपनिवेशों से मुक्त कराने के लिए, फिर गोवा में हमले किए.

लोकप्रिय गायिका लता मंगेशकर ने भी उस दौरान गोवा, दादरा और नगर हवेली को पुर्तगालियों से आज़ाद कराने के लिए हथियार खरीदने के लिए धन जुटाने में मदद करने के लिए पुणे में एक संगीत कार्यक्रम में प्रदर्शन किया था.

आखिर गोवा को आज़ादी कब मिली?

भारत को आज़ादी मिलने के बाद, पुर्तगाल ने स्वतंत्र भारत को गोवा सौंपने से इनकार कर दिया. प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि गोवा को राजनयिक तरीकों से एकीकृत किया जाये. 1949 में पुर्तगाल के अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी सैन्य गठबंधन नाटो का हिस्सा बनने के बाद, गोवा भी विस्तार से सोवियत विरोधी गठबंधन का हिस्सा बन गया. गोवा पर संभावित हमले के लिए सामूहिक पश्चिमी प्रतिक्रिया के डर से, भारत सरकार ने कूटनीति पर जोर देना जारी रखा.

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भारत सरकार ने 1955 में गोवा पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. 1961 के नवंबर महीने में पुर्तगाली सैनिकों ने गोवा के मछुआरों पर गोलियां चलाईं जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई, जिसके बाद स्थित बदल गई. भारत सरकार ने अंततः घोषणा की कि गोवा को "या तो पूर्ण शांति के साथ या पूर्ण बल प्रयोग के साथ" भारत में शामिल किया जाये. 18 और 19 दिसंबर, 1961 को 'ऑपरेशन विजय' नाम से एक पूर्ण सैन्य अभियान चलाया गया. इस ऑपरेशन में नौसेना और वायुसेना भी शामिल थी. भारतीय सेना के सामने 36 घंटे के अंदर ही पुर्तगाल ने हथियार डाल दिए.

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बहरहाल लंबे संघर्ष और इंतज़ार के बाद 19 दिसंबर, 1961 को गोवा पुर्तगाली शासन से आज़ाद हो गया. गोवा की आज़ादी में पत्रकारों, सत्याग्रहियों, सशस्त्र गुरिल्लाओं के साथ-साथ दिग्गज फ़िल्म कलाकारों ने भी हिस्सा लिया. गोवा में स्वतंत्रता संग्राम पहली बार 1946 में शुरू हुआ, और 1961 में ख़त्म हुआ, जब 19 दिसंबर को गोवा पुर्तगाली शासन से आज़ाद हो गया.
  First Updated : Monday, 14 August 2023