Goa Liberation Day: भारत की आजादी के बाद भी क्यों रहा गोवा 14 साल तक गुलाम, भारतीय सेना ने ऐसे कराया 36 घंटे में आजाद

Goa Liberation Day: गोवा की आजादी को लेकर एक भाषण में पंडित नेहरू ने कहा था कि भारत के लिए पुर्तगाली शासन फूंसी की तरह है, जिसका इलाज बहुत जरूरी है. हालांकि शुरू में इसे जितना आसान समझा जा रहा था, यह उतना आसान नहीं लग रहा है.

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Goa Liberation Day: गोवा में आज मुक्ति दिवस मनाया जा रहा है, इसी दिन भारतीय सेना ने पुर्तगालियों से गोवा को आजाद करवाया था. भारत के कड़े संघर्ष के बाद अंग्रेजी साम्राज्यवाद से आजादी मिली थी. लेकिन गोवा भारत से 14 साल बाद आजाद हुआ था. क्योंकि वह पुर्तगालियों का गुलाम था. 

आजादी के 14 वर्षों बाद गोवा को मिली विजय

पुर्तगालियों ने गोवा में करीब 450 सालों तक राज किया था, देश की आजादी के बाद लोगों ने जल्द ही ठान लिया था कि अब इस साम्राज्य को भी उखाड़ फेंकना है. भारतीय सेना ने 36 घंटे के ऑपरेशन में पुर्तगालियों की सेना को घुटने पर ला दिया था. 19 दिसंबर 1961 को गोवा की आजादी को लेकर एक पत्र पर हस्ताक्षर करा लिया और उसके बाद से ही हर वर्ष 19 दिसबंर गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस पूरी खबर में आप लोगों को हम बताएंगे कि किस तरीके से भारतीय सेना ने एकजुट होकर और अपने साहस के बूते कुछ ही घंटों में गोवा को आजाद कर लिया था. 

15वीं शताब्दी में पुर्तगालियों का भारत के हिस्सों पर कब्जा

वास्को डी गामा 1498 में भारत आए थे, उसके बाद ही धीरे-धीरे पुर्तगालियों के साम्राज्य फैलने लग गया. 1510 तक देखते ही देखते पुर्तगालियों का भारत के कई हिस्सों में कब्जा हो गया. लेकिन जब 1600 में ईस्ट कंपनी की स्थापना हुई और उसके बाद अंग्रेजी शासन ने अपना साम्राज्य फैलाया तो पुर्तगाली धीरे-धीरे सिमटने लगे थे. 19वीं शताब्दी में पुर्तगालियों का उपनिवेश  गोवा, दमन, दादर, दीव और नागर हवेली तक सीमित हो गया था. 

EX PM Pandir Nehru

भारत की आजादी के बाद 14 साल तक गोवा ने काटा वनवास 

15 अगस्त 1947 का दिन जब भारत को सालों के संघर्ष के बाद अंग्रेजी साम्राज्य से आजादी मिली और हर भारतीय का सपना सच हुआ था. लेकिन अब भी भारत के कई हिस्सों में आजादी के लिए लोग तरस रहे थे. जिसमें से एक गोवा भी था. शुरूआत में भारत सरकार ने शांतिवार्ता के माध्यम से पुर्तगालियों को भारत से जाने के लिए समझौता करने की हिदायत दी. लेकिन भारत के कई विकल्प के बाद भी कोई संपूर्ण समझौता नहीं हो पाया. भारत सरकार ने गोवा में कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए. लेकिन इसके बाद भी पुर्तगालियों पर कोई असर नहीं पड़ा. क्योंकि पुर्तगालियों के पास भारत के कई तटीय क्षेत्र कब्जे में थे. 

नेहरू ने की तत्कालीन रक्षा मंत्री के साथ आपातकालीन मीटिंग 

पंडित नेहरू ने राजनयिक संबंधों के माध्यम से मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन जब बिल्कुल अति हो गई तो तत्कालिन प्रधानमंत्री ने सैन्य ताकत दम पर गोवा को आजाद कराने का फैसला कर लिया और पंडित नेहरू ने गोवा में सेना भेज दी. बता दें कि एक भाषण में पंडित नेहरू ने कहा था कि भारत के लिए पुर्तगाली शासन फूंसी की तरह है, जिसका इलाज बहुत जरूरी है. हालांकि शुरू में इसे जितना आसान समझा जा रहा था, यह उतना आसान नहीं लग रहा है. जब गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा था उस दौरान पुर्तगाल नाटो का सदस्य देश था और इसी कारण नेहरू उससे सैन्य ताकतों के माध्यम से टकराने पर विचार कर रहे थे. 

EX Defence Minister VK Menon

1961 में पुर्तागलियों ने मछुआरों पर बरसाई गोलियां 

पुर्तगालियों ने नवंबर 1961 में भारतीय मछुआरों पर गोलियां बरसा दीं, जिसमें एक मछुआरे की मौत हो गई और देखते ही देखते हालात खराब हो गए. परिस्थिति को देखते हुए पंडित नेहरू ने तत्कालीन रक्षा मंत्री कृष्ण मेनन के साथ एक आपातकालीन बैठक की थी और उसके बाद ही भारत सरकार की ओर एक सख्त कदम उठाने का फैसला किया गया. जिसका लक्ष्य साफ था कि गोवा को अब आजाद कराने का वक्त आ गया है. इस मिशन के लिए रक्षा मंत्री ने थल, वायु और जल सेना को तैनात कर दिया और गोवा के अंदर वास्को डी गामा पुल को ध्वस्त कर दिया. आखिरकार इस हमले के बाद भारतीय सेना ने 36 घंटे के भीतर ही गोवा की आजादी का ऐलान कर दिया.  First Updated : Tuesday, 19 December 2023