सरकार के इस प्लान से फर्राटा भरेंगे वाहन, क्या आपके शहर को मिलेगा इस प्लान का लाभ?
शहरी जाम की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए सरकार अब एक योजना पर काम कर रही है. राज्य की राजधानियों में भी यह योजना लागू की जाएगी. वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद इस योजना का विस्तृत विवरण सार्वजनिक किया जाएगा.
केंद्र सरकार शहरी जाम की समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए एक अहम योजना पर काम कर रही है. इसके तहत, उन शहरों में जाम की समस्या को खत्म करने के लिए रिंग रोड, बाईपास और अन्य उपायों की योजना बनाई जा रही है, जिनकी आबादी दस लाख से अधिक है. साथ ही राज्य की राजधानियों में भी यह योजना लागू की जाएगी. वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद इस योजना का विस्तृत विवरण सार्वजनिक किया जाएगा.
शहरी परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस योजना में राज्यों की सक्रिय भूमिका होगी. राज्य सरकारों को भूमि अधिग्रहण की लागत वहन करनी होगी और कुछ अन्य कदम भी उठाने होंगे. इसके बाद मंत्रालय सड़क निर्माण के लिए कॉरिडोर आधारित योजना पर काम शुरू करेगा.
बाईपास जैसे उपायों की योजना
इस योजना में जिन शहरों को प्राथमिकता दी गई है, उनमें उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहर जैसे लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, आगरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, मेरठ, बरेली और मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन शामिल हैं. इन शहरों को जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए रिंग रोड और बाईपास जैसे उपायों की योजना बनाई जा रही है.
सकारात्मक रुख
विभिन्न राज्य सरकारों ने इस योजना को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है और रायल्टी छोड़ने के साथ जीएसटी की क्षतिपूर्ति जैसे कदमों के लिए सहमति जताई है. इसके बाद मंत्रालय ने प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय को भेज दिया है. योजना के तहत प्राथमिकता वाले शहरों में सबसे पहले काम शुरू किया जाएगा, जहां जाम की समस्या सबसे अधिक है.
पहले चरण में 30 शहरों का चयन किया जाएगा, जहां रिंग रोड या बाईपास की आवश्यकता का आंकलन राज्यों को ही करना होगा. इसके अलावा, कई शहरों के पास राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे होने के बावजूद सड़कों पर दबाव बढ़ रहा है, जिसे इस योजना के तहत हल किया जाएगा.
नीति को दिया जाएगा अंतिम रूप
सूरत, वडोदरा, राजकोट, पुणे, नागपुर, लुधियाना, अमृतसर, फरीदाबाद, गुरुग्राम, कोयम्बटूर, जोधपुर, कोटा और मदुरई जैसे शहरों में भी जाम की समस्या को हल करने के लिए सड़क परिवहन मंत्रालय ने कदम उठाने की योजना बनाई है. इस योजना के तहत पायलट परियोजनाएं इस साल शुरू की जाएंगी. हालांकि पहले वित्त मंत्रालय के साथ नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा.