गड़बड़ी नहीं मिली...RE NEET पर रुख साफ, केंद्र ने SC को सौंपा हलफनामा
NEET Paper Leak Case: केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक को लेकर हलफनामा दाखिल किया है. इसमें कहा गया है कि सरकार छात्रों के साथ है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बड़े पैमाने पर कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. इस कारण दोबारा परीक्षा कराने की जरूरत नहीं है. केंद्र ने IIT मद्रास की स्टडी के अनुसार, ये दावा किया है. अब आज 11 जुलाई को इस मामले में सुनवाई होनी है.
NEET Paper Leak Case: केंद्र सरकार और NTA ने बुधवार को नीट पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है. केंद्र ने बुधवार को दाखिल हलफनामा में कहा है कि नीट-यूजी 2024 की दोबारा परीक्षा की की जरूरत नहीं है.आईआईटी-मद्रास की एक रिपोर्ट को पेश करते हुए कहा गया है कि बड़े पैमाने पर कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम बच्चों के साथ है. किसी तरह की शंकाओं को दूर करना हमारी प्रतिबद्धता है. पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए सरकार काम कर रही है.
केंद्र ने हलफनामे के जरिए बताया कि IIT मद्रास ने NEET-UG के नतीजों का डेटा विश्लेषण किया है. इसमें पेपर के लीक होने की वजह कोई बड़ी नहीं पाई गई. इसके साथ ही सरकार ने रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि 2023 और 2024 के रिजल्ट का विश्लेषण किया गया ताकि असामान्य संकेतों का पता लगाया जा सके. अब इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होनी है.
NTA ने क्या है?
केंद्र सरकार रुख पर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) ने भी सुप्रीम कोर्ट में अलग से एक हलफनामा दायर किया है. इसमें कहा गया है कि अब तक केवल 47 अभ्यर्थियों (पटना में 17 और गोधरा में 30) को पेपर लीक और OMR शीट में गड़बड़ी का आशंका है. इसमें कहा गया है कि सोशल मीडिया की जांच करने में पता चलता है कि वीडियो फर्जी था और समय सीमा में छेड़छाड़ से पहले ही लीक होने का झूठा आभास कराया गया. कमेंट्स से इस बात की पुष्टि होती है कि तस्वीरें एडिट की गई थीं.
केंद्र ने क्या कहा?
केंद्र के हलफनामे में कहा गया कि शिक्षा मंत्रालय ने आईआईटी से रिजल्ट का डेटा एनालिसिस करने का अनुरोध किया था. इसके बाद IIT ने 2023 और 2024 के टॉप 1 लाख 40 हजार रैंक का एनालिसिस किया. एनालिसिस का उद्देश्य पता लगाना था कि क्या किसी एग्जाम सेंटर या शहर में गड़बड़ी करने की कोशिश हुई है. हालांकि, रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी या स्थानीय स्तर पर अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ मिलने का कोई संकेत नहीं मिला.