ब्रेस्ट पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना... रेप या रेप की कोशिश नहीं: इलाहाबाद हाई कोर्ट

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कासगंज में 11 साल की बच्ची के साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटना पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप का प्रयास नहीं, बल्कि यौन उत्पीड़न माना जाएगा. कोर्ट ने पवन और आकाश पर धारा 354-बी और POCSO अधिनियम की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में अजीबोगरीब फैसला देते हुए कहा कहा कि पीड़िता का ब्रेस्ट पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना बलात्कार या बलात्कार का प्रयास नहीं माना जाएगा, बल्कि गंभीर यौन हमला माना जाएगा. यूपी के कासगंज में 11 वर्षीय नाबालिग के साथ पवन और आकाश पर रेप करने और उसका ब्रेस्ट पकड़ने, पायजामे का नाड़ा तोड़ने के साथ-साथ पुलिया के नीचे खींचने का आरोप है. 

हाईकोर्ट ने इन धाराओं में दी मुकदमा चलाने की मंजूरी

पीड़िता ने बताया कि राहगीरों की कहासुनी के बाद दोनों आरोपी मौके से फरार हो गए. वर्ष 2021 में यह घटना तब हुई, जब पीड़ित नाबालिग को आरोपियों ने लिफ्ट देने की कोशिश की और उसके बाद लड़की से जबरदस्ती करने की कोशिश की. कासगंज ट्रायल कोर्ट के निर्देश पर पवन और आकाश पर बलात्कार के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 18 के तहत मुकदमा चलना था. हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने निर्देश दिया कि आरोपियों पर धारा 354-बी आईपीसी (नंगा करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के साथ-साथ POCSO अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए.

जज ने क्या कहा?

पीठ ने कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं बनाते हैं. बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह स्थापित साबित करना होगा कि आरोपियों ने पीड़ित के साथ बलात्कार करने की कोशिश की. अपराध करने और अपराध करने के प्रयास के बीच में बहुत अंतर है.

प्रतिवादियों में से एक के वकील ने यह भी तर्क दिया कि आरोप तय करने के चरण में, ट्रायल कोर्ट को जांच के दौरान इकट्ठा किए गए सबूत और सामग्री को सावधानीपूर्वक जांचना और तौलना नहीं चाहिए. अभियुक्त व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए केवल प्रथम दृष्टया मामला ही पाया जाना चाहिए. जज ने निष्कर्ष निकाला कि रिकॉर्ड पर मौजूद किसी भी सामग्री से यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि आरोपी बलात्कार करने के लिए दृढ़ था.

बलात्कार का कोई सबूत नहीं

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आकाश के खिलाफ विशेष आरोप यह है कि उसने पीड़िता को पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की और उसकी पजामी का नाड़ा तोड़ दिया. गवाहों ने यह भी नहीं कहा कि आरोपी के इस कृत्य के कारण पीड़िता नग्न हो गई या उसके कपड़े उतर गए. ऐसा कोई सबूत नहीं है कि आरोपी ने पीड़िता के साथ बलात्कार करने की कोशिश की.

तीसरे आरोपी पवन के पिता अशोक के खिलाफ आरोप है कि जब शिकायतकर्ता ने घटना के बाद उनसे संपर्क किया तो उन्होंने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और धमकी दी. इसलिए अशोक को भारतीय दंड संहिता की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत तलब किया गया है.

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20 March 2025, 01:12 PM IST

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