Trending News: शनिवार को हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में सरकार ने कई फैसलों पर मुहर लगाई. इनमें से एक बड़ा फैसला था पॉपकॉर्न पर जीएसटी लगाने का. जैसे ही यह खबर फैली, पॉपकॉर्न के शौकिनों के बीच खलबली मच गई. सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर जमकर बहस शुरू हो गई, और यूजर्स ने इस पर मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. कुछ लोगों ने सरकार का बचाव भी किया, जबकि कई ने इसे "लूट" कहकर आलोचना की.
यूजर्स का कहना था कि सरकारी खजाना इज्जत से भी भरा जा सकता है, लेकिन सरकार इसे लूटकर भरना चाहती है. सबसे ज्यादा परेशानी तो उन लोगों को हुई, जो थिएटर में जाकर हर हफ्ते पॉपकॉर्न का पैक लेकर फिल्म का मजा लेते थे. अब पॉपकॉर्न पर जीएसटी लगने से उनकी जेब पर भारी असर पड़ेगा.
सरकार ने जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में पॉपकॉर्न पर अलग-अलग जीएसटी स्लैब तय किए. जैसे ही यह खबर आई, सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई. किसी ने कहा, "अब पॉपकॉर्न खरीदने से पहले जीएसटी स्लैब पढ़ना पड़ेगा," तो किसी ने मजाक किया, "अब सांस लेने पर भी जीएसटी लगने की देर है!" एक यूजर ने तो यह तक कहा, "कैरेमलाइज्ड पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी ऐसा है जैसे इसे अब सोने की दुकान पर बेचा जाएगा!"
सरकार ने पॉपकॉर्न को तीन कैटेगिरी में बांटा और अलग-अलग जीएसटी स्लैब लगाए हैं:
सोशल मीडिया पर पॉपकॉर्न को लेकर ढेरों मीम्स बने. कुछ यूजर्स ने पॉपकॉर्न को असली "इज्जत" का हकदार बताया, जबकि कुछ ने मजाक करते हुए कहा कि पॉपकॉर्न कंपनियों को बिना किसी प्रचार के इतनी प्रसिद्धि मिल गई. एक यूजर ने लिखा, "अब पॉपकॉर्न सभी स्नैक्स का सरदार बन गया है, इसे फूड इंडस्ट्री का 'राजा' घोषित कर दिया जाए." हालांकि, जीएसटी अलग-अलग पॉपकॉर्न फ्लेवर पर लगाया गया है, लेकिन पब्लिक का मजाक उड़ाना तो उनका अधिकार है. इंटरनेट पर लोग पॉपकॉर्न के विभिन्न फ्लेवर और उनके जीएसटी के स्लैब की तुलना कर रहे हैं और सरकार के फैसले पर मजे ले रहे हैं. First Updated : Monday, 23 December 2024