दरगाह, मस्जिद और मंदिर बनाने के लिए क्या हैं क़ानून, किससे लेनी पड़ती है अनुमति?

गुजरात के जूनागढ़ में एक मजार को अवैध बताकर नोटिस जारी किया गया. नोटिस मिलने के बाद वहां पर हिंसक झड़प हुई. तनाव का माहौल बन गया जिसमें एक शख्स की मौत हो गई है.

Tahir Kamran
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हाइलाइट

  • मजार को अवैध बताकर नोटिस जारी, नोटिस मिलने के बाद हुई हिंसक झड़प

Junagadh: भारत एक धर्म प्रधान देश है. यहां हर धर्म के लोग रहते हैं, अपने अपने धर्म में आस्था रखते हैं, ईश्वर की पूजा करते हैं, हर किसी के अपने धार्मिक स्थल होते हैं. लोग मन्दिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा जाकर पूजा करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि किसी भी जगह पर दरगाह, मस्जिद या मंदिर नहीं बनाए जा सकते हैं? इसको लेकर क्या नियम-कानून हैं और ऐसे निर्माण के अवैध घोषित होने पर क्या कार्रवाई हो सकती है. जूनागढ़ से एक मामला सामने आया जिसमें नगर निगम के एक अधिकारी ने दरगाह को अवैध बताया, जिसपर पर हंगामा हो गया. 


हिंसक झड़प में हुई एक व्यक्ति की मौत 

गुजरात के जूनागढ़ में एक मजार को अवैध बताकर नोटिस जारी किया गया. नोटिस मिलने के बाद वहां पर हिंसक झड़प हुई. तनाव का माहौल बन गया जिसमें एक शख्स की मौत हो गई है. डीएसपी समेत 4 पुलिसकर्मी घायल हुए. शुक्रवार शाम जूनागढ़ नगर निगम का अधिकारी दरगाह के सामने नोटिस लगाने पहुंचा, उसने कहा, अगर पांच दिन के अंदर इससे जुड़े दस्तावेज पेश नहीं किए गए तो इसे गिरा दिया जाएगा. इसके बाद बवाल हुआ. घटनास्थल पर पुलिस की तैनाती की गई.

कैसे किया जा सकता है धार्मिक स्थल का निर्माण?

हमारे देश में धार्मिक निर्माण को लेकर कई नियम क़ानून हैं. अगर पब्लिक प्रॉपर्टी में धार्मिक निर्माण कराते हैं तो इसके लिए परमिशन लेनी होती है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आशीष पांडे के मुताबिक, "पब्लिक प्रॉपर्टी में धार्मिक निर्माण कराते हैं तो इसके लिए परमिशन लेनी होगी. अगर प्राइवेट प्रॉपर्टी में भी मंदिर, मस्जिद या दरगाह बनवानी है तो इसके लिए भी ज्यादातर मामलों में डीएम की अनुमति लेनी होगी. डीएम परमिशन देते वक्त कई बातों का ध्यान रखते हैं. जैसे- लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने की स्थिति तो नहीं बनेगी, शांति तो नहीं भंग होगी और इसे बनाने का मकसद क्या है. ऐसी कई बातों को ध्यान रखकर वो परमिशन देते हैं". अगर निर्माण के लिए परमिशन नहीं ली गई है तो स्थानीय प्रशासन उसके आधार पर कार्रवाई करेगा.


धार्मिक निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट

2009 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी भी पब्लिक प्रोपर्टी या पार्कों में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च के नाम पर किसी भी अवैध निर्माण की अनुमति नहीं होगी. ऐसे धार्मिक निर्माण जो पहले ही किए जा चुके हैं, राज्य प्रशासन उनको देखेगा और नियम के मुताबिक कार्रवाई करेगा. भविष्य में ऐसे धार्मिक निर्माण करने के लिए स्थानीय प्रशासन की अनुमति लेनी होगी . उसके बाद कोर्ट ने 2011 में दिए अपने फैसले में सड़क, फुटपाथ और आसपास के पब्लिक प्लेस में मूर्तियां लगाने पर भी रोक लगाई थी. 

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18 June 2023, 11:54 AM IST

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