Article 370: 'हमें इंसाफ का इंतजार है', अनुच्छेद 370 मामले पर SC की सुनवाई से पहले बोले गुलाब नबी आजाद
Article 370: जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को लेकर कल सोमवार, (11 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने वाला है. इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमें इंसाफ का इंतजार है.
हाइलाइट
- अनुच्छेद 370 मामले पर SC की सुनवाई से पहले बोले गुलाब नबी आजाद.
- जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, हम इंसाफ का इंतजार कर रहे हैं.
- मामले की सुनावाई करते हुए कोर्ट ने 5 सितंबर को फैसले को सुरक्षित रखा था.
Ghulam Nabi Azad On Article 370: जम्मू-कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 को लेकर कल सोमवार, (11 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाने वाला है. इससे पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमें इंसाफ का इंतजार है. उन्होंने कहा कि "कल जब फैसला आएगा तब पता चलेगा कि जम्मू-कश्मीर की आवाम के हक में है या नहीं. हम 4 साल से ज्यादा से समय से इस दिन का इंतजार कर रहे थे कि कब सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर लगातार सुनवाई करके फैसला सुनाएगा. सरकार ने गैर-कानूनी फैसला लिया था, हमें इंसाफ का इंतजार है."
पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "असली फैसला क्या आने वाला है यह तो कल ही पता चलेगा अभी तो सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं. हमने पहले ही कहा था की सुप्रीम कोर्ट में दिन-प्रतिदिन सुनवाई के बगैर 50 सालों में भी फैसला आना नामुकिन है." गुलाम नबी आजाद ने आगे कहा, मैं शुक्रगुजार हूं सुप्रीम कोर्ट का जो उन्होंने इसकी सुनवाई शुरू की.
#WATCH अनुच्छेद 370 से संबंधित मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "कल जब फैसला आएगा तब पता चलेगा कि जम्मू-कश्मीर की आवाम के हक में है या नहीं। हम 4 साल से ज्यादा से… pic.twitter.com/jUMnNhurSm
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 10, 2023
अगस्त 2019 में केंद्र सरकार ने खत्म किया था अनुच्छेद 370
पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 व अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर दिया था. केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ जम्मू-कश्मीर की दो प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुनवाई की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले को रखा था सुरक्षित
इन याचिकाओं में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट जाने के कानून जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन एक्ट को भी चुनौती दी गई है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 16 दिन चली लंबी सुनवाई पूरी होने पर पांच सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था.