जन्मदिन विशेष: सिख समुदाय के अंतिम और 10वें गुरु गोविंद का जन्म वर्ष 1666 में पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था. तिथि के अनुसार, आज (17 जनवरी 2024) गुरु गोबिंद सिंह जयंती मनाई जा रही है. यह दिन सिख समुदाय के लिए बहुत खास है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है. गुरु गोबिंद सिंह ने कई ऐसी शिक्षाएं दीं जो व्यक्ति का जीवन बदल सकती हैं. उन्होंने सिख समुदाय के लिए 5 ककारों के बारे में भी बताया जिनका पालन आज भी नियमानुसार किया जाता है. आज आपको बताएंगे गुरु गोबिंद सिंह के 5 ककारों और उनके महत्व के बारे में.
गुरु गोबिंद सिंह जयंती या दसवें सिख गुरु का प्रकाश पर्व इस साल 17 जनवरी को मनाया जाएगा. यह दिन सिख धर्म के अंतिम गुरु की 357वीं जयंती के रूप में मनाया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, इस्लाम अपनाने से इनकार करने पर उनके पिता को मुगल सम्राट औरंगजेब ने शहीद कर दिया था. 1676 में बैसाखी के दिन 9 साल की उम्र में उन्हें सिखों का दसवां गुरु घोषित किया गया. पटना में उनका जन्मस्थान अब तख्त श्री हरिमंदर जी पटना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है.
गुरु गोबिंद सिंह महान बुद्धि के व्यक्ति थे, उन्होंने सिख कानून को संहिताबद्ध किया, मार्शल कविता और संगीत लिखा, और 'दसम ग्रंथ' ('दसवां खंड') नामक सिख कृति के लेखक थे. उन्होंने सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन भी किया. गुरु गोबिंद सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि 1699 में खालसा की रचना थी.
गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु होने के साथ-साथ एक महान योद्धा, कवि, भक्त और आध्यात्मिक नेता थे. उन्होंने 1699 में बैसाखी के दिन खालसा पंथ की स्थापना की और बाद में इस धर्म के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान दे दिया.
सिखों को अपने पास कुछ चीजों को रखना बहुत जरूरी होता है, इन चीजों को बताने वाले गुरु गोबिंद सिंह थे. उन्होंने सिखों को 5 ककारों के बारे में बताया और समझाया. जो सिख और खालसा समुदाय की पहचान है. इनका आज भी सिख समुदाय द्वारा पूरे नियमों के साथ पालन किया जाता है. गुरु गोबिंद सिंह जी ने धर्म और समाज की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी. उन्होंने सिखों को 5 'क' का उपदेश दिया. ये 5 ककार हैं: केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कछेरा .
सिख समुदाय के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा बताए गए 5 ककारों में से केश सबसे महत्वपूर्ण है. सिखों के लिए लंबे बाल रखना महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि लंबे बाल आध्यात्मिकता का प्रतीक हैं.
गुरु गोबिंद सिंह जी ने हर खालसा को अपने पास हमेशा एक कंघी रखना जरूरी बताया, क्योंकि आध्यात्मिकता के साथ-साथ सांसारिक होना भी जरूरी है. लंबे बालों की देखभाल के लिए कंघी की जरूरत होती है.
इसका मतलब कछेरा (एक तरह का अंडरवियर) होता है, इसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसलिए प्रत्येक खालसा को इसको पहनना अनिवार्य माना गया है.
आपने लगभग हर सिख के हाथ में कड़ा देखा होगा जो 5 ककारों में महत्वपूर्ण होता है. यह सख्त नियमों और मर्यादा के भीतर रहने की चेतावनी देता है और इसलिए खालसा इसका पालन करता है.
गुरु गोबिंद सिंह जी का मानना था कि धर्म से अधिक सत्य के लिए अपनी जान देने में कभी पीछे नहीं रहना चाहिए. लेकिन आत्मरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है और इसलिए कृपाण रखना अनिवार्य माना जाता है. First Updated : Wednesday, 17 January 2024