Gyanvapi case: 355 साल पुराना इतिहास, 32 साल पुराना केस, जानिए ज्ञानवापी मामले में अब क्या-क्या हुआ
Gyanvapi case: ज्ञानवापी केस का काफी लंबा इतिहास है. हिंदुओं का कहना है कि यहां स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर का शिवलिंग है, तो वहीं मुस्लिम पक्ष इस बात से इनकार करते आ रहे हैं. अब लंबे इंतजार के बाद अदालत ने ASI सर्वे करने की इजाजत दे दी.
Gyanvapi case: ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला न्यायालय ने हिंदूओं के हीत में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की सभी दलीलों को खारिज करते हुए बजूखाने के अलावा पूरे ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे करने की अनुमती दे दी है.
ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थित है. हिंदुओं का दावा है कि 1669 ईं. में मुगल आक्रांत औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ कर इसे मस्जिद में परिवर्तन कर दिया था. हिंदुओं का यही दावा ज्ञानवापी विवाद का सबसे बड़ा जड़ है. हिंदू पक्ष के लोग दावा करते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक शिव स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. हालांकि इस दावा से मुस्लिम पक्ष के लोग इनकार करते हैं. इस विवाद को लेकर पहला मामाला 1991 में दायर किया गया था. पिछले 32 साल से ज्ञानवापी पर मुकदमा चल रहा है.
ज्ञानवापी पर 32 साल से हो रहा विवाद-
साल 1669 ईं में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने कराया था. लेकिन कहा जाता है कि ज्ञानवापी मस्जिद बनने से पहले यहां पर भगवान विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग था. जिसे तोड़कर मुगल शासक औरंगजेब ने मस्जिद का निर्माण करवाया था.
ज्ञानवापी मामले में अब तक क्या हुआ-
साल 1991 में पहली बार ज्ञानवापी मामले में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका को सोमनाथ व्यास, रामरंग शर्मा और हरिहर पांडे ने भगवान विश्वेश्वर की ओर से वाराणसी कोर्ट में दाखिल की गई थी, इस याचिका में मंदिर में पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी.
साल 1993 में ज्ञानवापी के मामले अदालत ने दोनों पक्षों को यथास्थित (जैसा है वैसा ही) बनाए रखने का आदेश दिया.
22 साल बाद यानी कि 2019 में ज्ञानवापी के मामले में विजय शंकर ने बनारस कोर्ट में याचिका दायर किया जिसमें ASI सर्वे कराने की मांग की. लेकिन साल 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने इस याचिका का विरोध किया.
2021 श्रृंगार गौरी की पूजा दर्शन की मांग करते हुए पांच महिलाओं ने ज्ञानवापी पर एक अन्य याचिका दाखिल की. जिसके बाद 2022 में श्रृंगार गौरी विग्रह का पता लगाने के लिए अदालत ने एक कमिश्नर नियुक्त किया.
ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण करने के लिए 26 अप्रैल 2022 को सिविल कोर्ट ने आदेश दिया. सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिसर में शिवलिंग की आकृति मिलने का दावा किया गया.
ज्ञानवापी का मामला जुलाई 2022 में सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जिसके बाद कोर्ट ने जिला अदालत को फैसले का इंतजार करने के लिए कहा.
दिसंबर 2022 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक अन्य मुकदमे की सुनवाई हुई जिसमें वजुखाने में मिले शिवलिंग नुमा आकृति की पूजा करने का अधिकार, मुस्लिमों के प्रवेश करने पर रोक, अवैध ढांचे को हटाने जैसे संबंधी मामलों पर सुनवाई शामिल थी.
मई 2023 में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को हाई कोर्ट ने आदेश दिया. लेकिन सात दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी.
23 मई को वाराणसी के जिला जज ने महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कहा कि, ज्ञानवापी मामले में सभी सातों केस एक साथ सुने जाएंगे. इस महीने 12 और 14 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर का ASI का सर्वे करने को लेकर सुनवाई हुई. इस मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से आपत्ति जताई गई थी.