ज्ञानवापी मामला : क्या है व्यास जी का तहखाना, जहां हिंदुओं को मिली है पूजा की अनुमति? मुस्लिम पक्ष आगे क्या करेगा

Gyanvapi case : वाराणसी की जिला कोर्ट में अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के तहखाने में पूजा पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

ज्ञानवापी-श्रंगार गोरी मंदिर मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने एक पुजारी के परिवार को ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में हिंदू देवताओं की मूर्तियों की पूजा करने का अधिकार दे दिया है. इस तहखाने को 'व्यासजी का तहखाना' भी कहा जाता है. अदालत ने जिला प्रशासन से अगले सात दिनों में वादी और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा नामित पुजारी द्वारा की जाने वाली मूर्तियों की पूजा के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा है. आखिर जिस व्यास जी तहखाने में पूजा होगी वह क्या है? इसके बारे में आज हम जानेंगे. 

व्यासजी का तहखाना क्या है?

सबसे पहले हम आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में चार तहखाने हैं. इनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है और यह परिवार यहां रहता भी है, जिसको व्यास जी का तहखाना कहा जाता है. व्यासजी का तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में दक्षिणी ओर स्थिति है. याचिका के अनुसार, पुजारी सोमनाथ व्यास 1993 तक वहां पूजा-अर्चना करते थे. याचिका में आरोप लगाया गया कि तत्कालीन सरकार के निर्देश पर अधिकारियों ने तहखाने को बंद कर दिया था. जिसके बाद से वहां पर पूजा नहीं हो सकी थी. इसके बाद हिंदू पक्ष ने याचिका दायर कर तहखाने में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति मांगी थी. जानकारों का कहना है कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद के नीचे स्थित है. एएसआई सर्वें में इस जगह से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं. हिंदू पक्ष के अनुसार, भगवान नंदी जिस स्थान पर विराजमान हैं उसके ठीक सामने व्यास परिसर का तहखाना है. दावा है कि साल 1993 में तत्कालीन सरकार ने अवैध तरीके से इसे बंद करवा दिया था और वहां पूजा करने वाले पूजारियों को भी हटा दिया था.

हिंदू पक्ष को मिले पूजा के अधिकार से क्या बदलेगा? 

कोर्ट के आदेश के बाद अब ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने लगी बैरीकेडिंग को हटाया जाएगा. इससे लोग व्यास जी के तहखाने में जाकर पूजा-अर्चना कर सकेंगे. अदालत द्वारा दिये गये आदेश में कहा गया है, जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी/ रिसीवर को निर्देश दिया जाता है कि वह सेटेलमेंट प्लॉट नं.9130 थाना—चौक, जिला वाराणसी में स्थित भवन के दक्षिण की तरफ स्थित तहखाने जो कि वादग्रस्त सम्पत्ति है, वादी और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट बोर्ड के द्वारा नाम निर्दिष्ट पुजारी से पूजा, राग—भोग, तहखाने में स्थित मूर्तियों का कराये और इस उद्देश्य के लिये सात दिन के भीतर लोहे की बाड़ आदि में उचित प्रबंध करें. कोर्ट के आदेश के बाद जिला प्रशासन को उचित व्यवस्था करनी होगी.

हिंदू पक्ष ने क्या आरोप लगाया

याचिका में हिंदू पक्ष ने आरोप लगाया कि मस्जिद समिति के लोग तहखाने में आते रहते हैं और वे इस पर कब्ज़ा कर सकते हैं. इस आरोप को एआईएमसी के वकील अखलाक अहमद ने निराधार बताते हुए खारिज कर दिया. हिंदू याचिकाकर्ताओं ने पूजा के अधिकार की मांग करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद से संबंधित कई अन्य मामले भी दायर किए हैं. 

हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत क्यों मिली 

हिंदू पक्ष की याचिका में अदालत द्वारा आदेशित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर था. ASI की रिपोर्ट में मौजूदा संरचनाओं के गहन अध्ययन का हवाला दिया गया है. साथ ही साइट से बरामद कलाकृतियों का हवाला देते हुए यह निष्कर्ष निकाला गया कि 17 वीं शताब्दी में मौजूदा संरचना के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और अंतिम में हिंदुओं के पक्ष में फैसला दिया.

फैसले से हिंदू पक्ष का दावा मजबूत होगा?

जिला अदालत से व्यासजी के तहखाने में पूजा का अधिकार मिलने से हिंदू पक्ष का दावा और मजबूत होगा. हिंदू पक्ष ऊपरी अदालतों में जिला कोर्ट के फैसले का जिक्र कर अपने हक में फैसला सुनाने की अपील कर सकता है. इसके अलावा एएसआई की रिपोर्ट का हवाला देकर केस को अपने पक्ष में कर सकता है. पूजा का अधिकार मिलने से हिंदू पक्ष का मनोबल और मजबूत होगा. साथ ही जब तक हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मुस्लिम पक्ष को स्टे नहीं मिल जाता तब तक वह पूजा करता रहेगा.

मुस्लिम पक्ष फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगा

मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है. वाराणसी कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष का कहना है कि व्यास जी का तहखाना मस्जिद का हिस्सा है लिहाजा उसमें पूजा—पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती. इस बीच आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने लखनऊ में कहा कि इस फैसले से मायूसी हुई है. लेकिन हम ऊपरी अदालतों का रुख करेंगे. जाहिर है कि हमारे वकील इस फैसले को चुनौती देंगे. उन्होंने कहा, ''ज्ञानवापी का मामला अयोध्या के मसले से अलग था. 

कोर्ट के फैसले से हिंदू ने किया स्वागत

 कोर्ट के फैसले से हिंदू पक्ष काफी खुश दिख रहा है. वहीं, यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अदालत के इस आदेश का स्वागत करते हुए 'एक्स' पर कहा, "शिव भक्तों को न्याय मिला है. बाबा विश्वनाथ मंदिर परिसर में व्यास जी के तहख़ाने में पूजा का अधिकार देने के संबंध में माननीय न्यायालय के ऐतिहासिक फ़ैसले का हार्दिक स्वागत करता हूं. 1993 से भक्तों को था इंतज़ार. हर हर महादेव. जय बाबा विश्वनाथ. जय माता श्रृंगार गौरी.

कोर्ट में लंबे समय से चल रहा था मामला

ज्ञानवापी-श्रंगार गौरी मंदिर मामला लंबे समय से कोर्ट में चल रहा था. इस मामले में अलग-अलग याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में सुनवाई हुई है. व्यास जी के तहखाने में पूजा करने की इजाजत देने की याचिका वाराणसी जिला कोर्ट में दायर की गई थी. जिस पर आज अदालत का फैसला आया है. उधर, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राखी सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को बुधवार को नोटिस जारी किया. वादी राखी सिंह ने वाराणसी की अदालत द्वारा 21 अक्टूबर 2023 को सुनाए फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर कथित शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने का निर्देश देने से मना कर दिया था.

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02 February 2024, 12:08 PM IST

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