नई दिल्ली. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत विभिन्न मांगों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए कोई संदेश नहीं मिला है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि 101 किसानों का एक जत्था 8 दिसंबर को दिल्ली के लिए शांतिपूर्ण मार्च शुरू करेगा।
आंसू गैस के गोले से किसान घायल
शुक्रवार को किसानों को दिल्ली की ओर मार्च स्थगित करना पड़ा था क्योंकि पंजाब-हरियाणा सीमा पर सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े, जिससे 16 किसान घायल हो गए। शंभू सीमा पर किसानों को संबोधित करते हुए पंधेर ने बताया कि एक किसान की सुनने की क्षमता चली गई है। हालांकि, चार गंभीर रूप से घायलों को छोड़कर बाकी को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है।
शांतिपूर्ण मार्च की योजना
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने रविवार को 101 किसानों के समूह के साथ दिल्ली की ओर शांतिपूर्ण मार्च की योजना बनाई है। पंधेर ने केंद्र सरकार पर वार करते हुए कहा कि मोदी सरकार बातचीत के मूड में नहीं है। उन्होंने सुरक्षाबलों की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र सरकार किसानों के विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है।
भाजपा सरकार पर निशाना
सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को लेकर पंधेर ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार बेनकाब हो गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब किसान बिना ट्रैक्टर-ट्रॉली के शांतिपूर्ण तरीके से जा रहे थे, तो उन्हें रोका क्यों गया।
भूख हड़ताल पर किसान नेता
एक अन्य किसान नेता, जगजीत सिंह दल्लेवाल, खनौरी सीमा पर अपनी भूख हड़ताल जारी रखे हुए हैं। प्रदर्शन के दौरान उनका वजन आठ किलोग्राम कम हो चुका है। किसानों ने सरकार से स्पष्ट रूप से बातचीत या दिल्ली जाने देने की मांग की है।
सुरक्षा इंतजाम और इंटरनेट सेवाएं बंद
हरियाणा सरकार ने किसानों के मार्च से पहले अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाएं 9 दिसंबर तक निलंबित कर दी हैं। इससे पहले भी फरवरी में किसानों ने दो बार दिल्ली मार्च करने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सीमा पर रोक दिया गया था।
भारी बैरिकेडिंग के बीच विरोध
ड्रोन के जरिए मिले दृश्यों में शंभू सीमा पर भारी बैरिकेडिंग देखी गई है। किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार और किसानों के बीच बातचीत की कमी से स्थिति और तनावपूर्ण हो रही है।
परिवारों को मुआवजा देना शामिल
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग के अलावा, किसान कृषि ऋण की माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक, किसानों के खिलाफ पुलिस मामलों की वापसी और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। अन्य मांगों में भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना और 2020-21 के विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देना शामिल है। First Updated : Sunday, 08 December 2024