गिर कर कैसे संभले इसकी प्रेरणा दे रही हैं गीताक्षी नारंग, आखिर क्यों लोगों को पसंद आ रही है ये कविता

Geetakshi Narang: इन दिनों उनकी एक कविता बहुत ज्यादा लोगों के बीच पसंद की जा रही है जिसमें वो लोगों को फेल होने पर निराश न होने की बात समझा रही हैं. 'तेरा गिरना तेरी हार नहीं' शीर्षक से मशहूर रही इस कविता पर आइए एक नजर डालते हैं-

Sagar Dwivedi
Edited By: Sagar Dwivedi

Geetakshi Narang: कविताएं हमेशा से भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम रही हैं, कविताएं न सिर्फ समाज का आइना होती हैं बल्कि मौजूदा समय में घट रही घटनाओं को जादुई अंदाज में बयां भी करती हैं. कहते हैं कि किसी भी समाज और उसके इतिहास की समृद्धि देखनी हो तो उसके साहित्य को पढ़ना चाहिए और कविताएं हमेशा से ही उस साहित्य का बड़ा हिस्सा रही हैं.

भारतीय साहित्य ऐसे ही कई महान कवियों से भरा पड़ा है, हालांकि आज हम उन महान लेखकों या कवियों की बात नहीं करने जा रहे हैं बल्कि एक ऐसे युवा कवियित्रि की बात करने जा रहे हैं जो कि अपनी कविताओं से लोगों के बीच तेजी से मशहूर हो रही हैं. हम बात कर रहे हैं हरियाणा के पानीपत से आने वाली गीताक्षी नारंग की जो अपनी कविताओं से लोगों को प्रेरित कर रही हैं.

इन दिनों उनकी एक कविता बहुत ज्यादा लोगों के बीच पसंद की जा रही है जिसमें वो लोगों को फेल होने पर निराश न होने की बात समझा रही हैं. 'तेरा गिरना तेरी हार नहीं' शीर्षक से मशहूर रही इस कविता पर आइए एक नजर डालते हैं-

तेरा गिरना तेरी हार नहीं, तू इंसान है अवतार नहीं!!         
तेरे अंदर एक तूफान है, उस तूफान को जगा                 
कदम बढ़, बढ़ता चला जा, विश्वास रख कर्म करता चला जा          
हां गिरेगा कहीं बार, पर खुद को संभाल कर मंजिल तक बढ़ता चला जा,                  
क्योंकि तेरा गिरना तेरी हार नहीं, तू इंसान है अवतार नहीं!!  
       
अपने हौसलों के बल पर, हम कुछ करके दिखाएंगे                  
भले कोई मंच ना दे, हम अपना मंच बनाएंगे !!            
कोशिश कुछ कर गुज़रने की, मुसिबतों से डटकर सामना करने की                           
हां गिरेगा कहीं बार, पर खुद को संभाल कर मंजिल तक बढ़ता चला जा,                   
क्योंकि तेरा गिरना तेरी हार नहीं, तू इंसान है अवतार नहीं !!     

तुझे महाभारत का अर्जुन बनना है, सूरज की तरह तपना है 
तेरे सब्र का इम्तिहान लेंगे लोग, उस इम्तिहान को पार करना है
हाँ, मुश्किलें आएँगी, गिरेगा कहीं बार, पर खुद को संभालना है बार बार 
क्योंकि,तेरा गिरना तेरी हार नहीं, तू इंसान है अवतार नहीं !!

गीताक्षी नारंग एक उभरती हुई कवियित्री हैं जिनका उद्देश्य अपने शब्दों के जरिए समाज में हो रहे बदलावों में योगदान देना है. उम्मीद है कि उनकी ऐसी ही प्रेरणादायी कविताएं लोगों को ऐसे ही पसंद आती रहेंगी.

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15 September 2023, 08:40 PM IST

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