Nuh Violence: नूंह हिंसा के बीच उठा मोनू मानेसर का नाम, जिसको गिरफ्तार करने में नाकाम रही पुलिस

Nuh Violence: बृज मंडल यात्रा पर पत्थरबाजी के बाद हरियाणा के नूंह में हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में अब तक दो होम गार्ड जवानों की मौत हो गई है, जबकि 15 लोग घायल हो गए हैं.

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Nuh Violence: हरियाणा के नूंह में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़प के बाद शुरू हुई हिंसा की आग अब पूरे राज्य में काफी तेजी से फैल रही है. हिंसा के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गुरूग्राम, सोहना और फरिदाबाद सहित कई अन्य जगहों पर शिक्षण संस्थानों को बंद कर दिया गया है. वहीं नूंह में इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगा दी गई है और प्रशासन द्वारा कर्फ्यू का ऐलान कर दिया गया है. बता दें कि मेवात बृज मंडल यात्रा पर पत्थरबाजी के बाद हरियाणा के नूंह में हिंसा भड़क गई. इस हिंसा में अब तक दो होम गार्ड जवानों की मौत हो गई है, जबकि 15 लोग घायल हो गए हैं. हिंसा की खबरों के बीच एक नाम सामने आ रहा है, वह है मोनू मानेसर का, जिसकी इस हिंसा में संलिप्तता को लेकर सवाल उठ रहें हैं.

कौन है मोनू मानेसर?

सोमवार को निकाली जाने वाली यात्रा में शामिल होने को लेकर मोनू मानेसर ने एक वीडियो जारी किया था. इस वीडियो के सामने आने के बाद से ही इलाके में तनाव की स्थिति बन गई थी, जिसने नूंह में हिंसा का रूप ले लिया. बता दें कि ये वही मोनू मानेसर है जिसका नाम इसी साल फरवरी में जुनैद और नासिर की हत्या करने के मामले में सामने आया था.

एक कार से जले हुए हालत में मिला था जुनैद और नासिर का शव

जुनैद और नासिर के जले हुए शव भिवानी में एक कार के अंदर मिले थे. उनके परिजनों द्वारा दर्ज करवाई गई FIR में मोनू का भी नाम था. परिजनों का आरोप था कि गोतस्करी के शक में जुनैद और नासिर की हत्या खुद को गौरक्षक बताने वाले लोगों ने की है. इसी को लेकर मेवात के लोगों में गुस्सा था. इस यात्रा में मोनू मानेसर को शामिल होने पर लोगों को आपत्ति था. हालांकि अभी ये साफ नहीं हुआ है कि मोनू इस यात्रा में आया था या नहीं.

बजरंग दल प्रांत गोरक्षक प्रमुख है मोनू मानेसर

मोनू मानेसर का असली नाम मोहित यादव है, और वह खुद को गौरक्षक बताता है. उसका एक यूट्यूब चैनल भी है, जिसपर वह गोतस्करों को पकड़ने के अलावा अपने वीडियो डालता है. मोनू गुरुग्राम के मानेसर का रहने वाला है. साल 2011 में बजरंग दल से जुड़ने वाला मोनू आज बजरंग दल प्रांत गोरक्षक प्रमुख है. लगभग 8 साल से ही वह गोतस्करों को पकड़ने का काम कर रहा है. साल 2019 में गोतस्करों को पकड़ते वक्त मोनू को गोली भी लग गई थी. अपने चैनल पर मोनू गोहत्या और गोतस्करों के नेटवर्क को खत्म करने की खुली चेतावनी देता है.

पलवल, झज्जर, पानीपत, सोनीपत, नूंह, रेवाड़ी, गुरुग्राम समेत राज्य के कई जिलों में मोनू के मुखबिरों का नेटवर्क फैला है. साथ ही उसे बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के जरिए भी जानकारी मिलती रहती है. जुनैद और नासिर के परिजनों का कहना था कि पुलिस का भी उसे समर्थन मिलने से इलाके में उसकी दबंगई बढ़ गई है. मोनू मानेसर का राजनेताओं के साथ उठना बैठना है. देश के कई बड़े राजनेताओं के साथ उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं.

राजनेताओं से है मोनू का संपर्क

राजनीतिक और जन समर्थन होने के कारण पुलिस भी उस पर कार्रवाई करने से बचती है. ऐसा आरोप जुनैद और नासिर के परिजनों ने लगाया था. जिसके बाद भी उस मामलें में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई थी, लेकिन मोनू पुलिस की गिरफ्त से दूर था. वो लगातार वीडियो अपने सोशल मीडिया पर डाल रहा था,  इसके बाद भी पुलिस उसे गिरफ्तार करने में असफल रही. अब एक बार फिर मोनू का नाम नूंह हिंसा के चलते सुनाई दिया है तो सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों पुलिस मोनू को नहीं गिरफ्तार कर पाई. First Updated : Tuesday, 01 August 2023