Jammu&Kashmir: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में हालिया घटनाक्रम यह संकेत कर रहे हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के करीब जाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं. उनके बयानों और राजनीतिक स्थितियों से यह कयास लग रहे हैं कि वे बीजेपी के साथ गठबंधन की ओर अग्रसर हो सकते हैं. आइए देखते हैं इसके चार प्रमुख कारण.
1. कांग्रेस से दूरी बनाने की कोशिश
हाल ही में उमर ने कहा कि उन्हें चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला है और कांग्रेस से बातचीत चल रही है. यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि वे कांग्रेस के साथ अपनी निर्भरता को कम करना चाहते हैं. उनका यह भी कहना है कि चुनाव में उनकी पार्टी बिना कांग्रेस के भी अच्छा प्रदर्शन कर सकती थी. यह संकेत है कि वे बीजेपी के करीब जाकर एक मजबूत स्थिति बनाना चाहते हैं.
2. एनसी की मजबूरी
नेशनल कॉन्फ्रेंस जानती है कि नई सरकार काफी हद तक उपराज्यपाल के हाथों में होगी. इसलिए उन्हें केंद्र सरकार के साथ मधुर रिश्ते बनाने की जरूरत है. अगर उन्हें बीजेपी का सहयोग मिलता है, तो वे कुछ मंत्रालय भी संभाल सकते हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए बजट उपलब्ध होगा. इस स्थिति में, बीजेपी के साथ संबंध स्थापित करना फायदेमंद हो सकता है.
3. अतीत के रिश्ते
उमर अब्दुल्ला का बीजेपी के साथ पुराना रिश्ता है. वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं. जब उन्होंने मोदी सरकार की प्रशंसा की, तो यह चर्चा और बढ़ गई कि वे बीजेपी के करीब जा सकते हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस का कांग्रेस और बीजेपी दोनों के साथ संबंध रहा है, जो यह संकेत देता है कि वे भविष्य में किसी भी दल के साथ गठबंधन कर सकते हैं.
4. अनुच्छेद 370 का मुद्दा
अनुच्छेद 370 के हटने के बाद भी यह संभावना बनी हुई है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी एक साथ आ सकते हैं. पूर्व राजनीतिक सलाहकार देवेंद्र सिंह राणा का कहना है कि एनसी ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर बीजेपी के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश की थी. यदि दोनों पार्टियों में समझौता होता है, तो यह मुद्दा शायद कोई बाधा नहीं बनेगा.
उमर अब्दुल्ला का एनडीए के साथ संभावित संबंध जम्मू-कश्मीर की राजनीति के लिए एक नया मोड़ हो सकता है. उनकी हालिया टिप्पणियां और राजनीतिक रणनीतियां यह संकेत देती हैं कि वे आने वाले समय में बीजेपी के साथ सहयोग की संभावनाएं तलाश रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि ऐसा होता है, तो यह जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. First Updated : Sunday, 13 October 2024