Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में पड़े करीब 377 टन खतरनाक कचरे को ट्रांसफर करने का काम बुधवार रात से शुरू हो गया है. यह कचरा भोपाल से 250 किमी दूर धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में भेजा जा रहा है. जहरीले कचरे को 12 सीलबंद ट्रक कंटेनरों में भरकर ले जाया जा रहा है. इसके साथ ही पुलिस, एंबुलेंस, डॉक्टर, फायर ब्रिगेड और क्विक रिस्पांस टीम की 25 गाड़ियों का काफिला भी इस यात्रा में शामिल है. यह काफिला नॉन स्टॉप यात्रा करेगा.
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि कचरे को ट्रकों में लोड करने का काम 100 लोगों ने किया. ये लोग 30 मिनट की शिफ्ट में काम कर रहे थे और उनकी स्वास्थ्य जांच की गई थी. कचरे में मिट्टी, सीवन, नेफ्थाल, सेमी प्रोसैस्ड पेस्टिसाइड और रिएक्टर के अवशेष शामिल हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में अधिकारियों को फटकार लगाई और कचरे को ट्रांसफर करने के लिए 4 हफ्ते की समय सीमा तय की थी. कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी थी कि अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो अवमानना कार्यवाही की जाएगी.
स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो कचरे को तीन महीने में जला दिया जाएगा. अगर किसी समस्या के कारण ऐसा नहीं हो पाया, तो इसमें नौ महीने तक का समय लग सकता है. कचरे से निकलने वाला धुआं चार-परत फिल्टर से गुजरकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने की व्यवस्था की जाएगी. जब यह पुष्टि हो जाएगी कि कचरे में कोई जहरीले तत्व नहीं हैं, तो राख को विशेष तरीके से दफनाया जाएगा ताकि यह मिट्टी और पानी के संपर्क में न आए. First Updated : Friday, 03 January 2025