knowledge : अभिमन्यु द्वारा गर्भ में चक्रव्यूह के बारे में सुन पाने वाली कहानी कितनी सच थी? इस पर क्या कहता है शोध

महाभारत में अभिमन्यु की कथा इसी गुण को रेखांकित करती है. वहीं आज भी देखा जाता है कि नवजात मां की आवाज और उसकी भाषा को जन्म के कुछ दिनों बाद ही तरजीह देना शुरू कर देते हैं.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

भारत में महाभारत एक लोकप्रिय धारावाहिक है, आपने इसे जरूर देखा होगा. अगर नहीं देखा तो इसके बारे में किसी से सुना जरूर होगा. महाभारत में एक प्रसंग है कि अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु अपनी मां सुभद्रा के गर्भ में युद्ध के दौरान चक्रव्यू में प्रवेश करने की कहानी सुनता है, लेकिन कहानी के आखिरी में सुभद्रा को नींद आ जाती है. इसके बाद की कहानी अभिन्यु नहीं सुन पाता है. यह कहानी हमारे समाज में आज भी बहुत ज्यादा प्रचलित है.   

इस विषय पर एक शोध हुआ है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि बच्चा गर्भ में ही अपनी मां की सुनी हुई भाषा सीखना शुरू कर देता है. इससे अभिमन्यु के गर्भ में सुनने की कहानी संभव होने को बल मिलता दिखता है. वैज्ञानिकों के शोध में कई रोचक नतीजे सामने आए हैं. एक शोध में दावा किया गया है कि शिशु मां के गर्भ में ही भाषा सीख सकते हैं और यह अभिमन्यु की कहानी के बारे में भी संकेत देता दिखाई पड़ता है.

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि महाभारत को आज भी केवल एक महाकाव्य के रूप में देखा जाता है और इसमें वर्णित घटनाओं के होने की प्रमाणिकता को स्वीकार बहुत कम किया जाता है. लेकिन समय-समय पर पुरातत्ववेदताओं को इस काल में युद्ध होने के प्रमाण भी मिलते रहे हैं. इसकी भी हजारों कथाएं हैं, जिनको केवल कथा के रूप में लोग सुनके हैं और आगे बढ़ जात हैं. इन तथ्यों पर बहुत ही कम लोग विश्वास करते हैं. आज भी अभिमन्यु के गर्भ में चक्रव्यूह के बारे में कहानी सुनने को एक मिथक की तरह देखा जाता है. 

नए अध्ययन के नतीजों में क्या पता चला? 
शोध में पचा चला है कि शिशु के जन्म का पहला साल भाषा की क्षमताएं सीखने के लिहाज से बहुत अहम माना जाता है. साइंस एडवांस में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया है कि नवजात शिशु को उस भाषा के बारे में पहले से ही जानकारी होती है, जिससे उनका सामना गर्भकाल के दौरान ही होता था.

जन्म से पहले शिशु आवाज सुन सकता है
शोधकर्ताओं का कहना है कि ये प्रमाण शिशुओं के जन्म से पहले के दिमाग की क्रियात्मकता की जानकारी देते हैं. वैज्ञानिक इस जानकारी को मस्तिष्क विकास और भाषा सीखने की क्षमता पर शुरुआती जीवन के प्रभाव की समझ के लिहाज से बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है.

नवजात शिशु सार्वभौमिक श्रवणकर्ता होते हैं
परंपरागत तौर पर नवजात शिशुओं को सार्वभौमिक श्रवणकर्ता माना जाता है जो कोई भी भाषा सीखने में सक्षम है. लेकिन पैदा होते ही उनका दिमाग उनकी मातृभाषा की खास आवाजें पहचानने में विशेषज्ञता हासिल करने लगता है. यह भाषा के विकास का अहम हिस्सा होता है. लेकिन यह अध्ययन सुझाता है कि सुनने और बोलने की समझ बनाने के लिए दिमाग को तैयार करने में अभिभावकों के अनुभवों की अहम भूमिका होती है.

अभिमन्यु की कहानी में भी ऐसा ही कुछ
भ्रूण की गर्भ में पांच से सात महीने के समय के दौरान गर्भ से बाहर आवाज सुनने की क्षमता का बहुत महत्व है. महाभारत में अभिमन्यु की कथा इसी गुण को रेखांकित करती है. वहीं आज भी देखा जाता है कि नवजात मां की आवाज और उसकी भाषा को जन्म के कुछ दिनों बाद ही तरजीह देना शुरू कर देते हैं. यहां तक कि वे  गर्भ में सुनी धुन और गायन वाली आवाज को भी पहचान सकते हैं. यह माता पिता की आवाज सुनने की प्रक्रिया को रेखांकित करती है.

calender
29 November 2023, 02:44 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो