भारत में लगातार बढ़ रहे हीट वेव का कहर बरकरार है. इस बढ़ती गर्मी से गर्मियों में देश की इकोनॉमी को काफी प्रभावित हो रही है. गर्मियों में हीट वेव के चलते ज्यादा मुकसान फसलों को होता है. जिससे मंहगाई बढ़ती है. हीट वेव के कारण खराब हुई फसलों की वजह से देश में फूड इंफ्लेशन में इजाफा होता है, जिससे ओवरऑल महंगाई पर असर देखने को मिलता है.
लगातार बढ़ रहे हीट वेव को लेकर अब विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने अपने अपडेट में कहा है कि भारत में लाखों किसानों की आजीविका गर्म हवाओं के कारण प्रभावित हो सकती है, क्योंकि 2024-2028 के दौरान दुनिया में रिकॉर्ड हाई तापमान देखने को मिल सकता है. इस मामले में संदीप दास भारतीय कृषि पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया हैं.
ग्लोबल वेदर रिपोर्ट में कहा है कि 2024 और 2028 के बीच कम से कम एक साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल से अधिक गर्म होगा. 2024-2028 के लिए पांच साल के औसत के पिछले पांच वर्षों (2019-2023) से अधिक होने की भी संभावना है. इसके साथ ही WMO ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है. 2023 में तापमान को इतना रिकार्ड हुआ था कि यह अब तक का सबसे अधिक गर्म साल था.
ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के लिए साल 2023 में बारिश पिछले पांच सालों से कम हुई थी. साल 1902 के बाद सबसे कम बारिश साल 2023 में हुई थी. 2019-2023 के दौरान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर दुनिया भर में तापमान बेसलाइन से ज़्यादा गर्म रहा. इन पांच सालों के दौरान, एशिया के कुछ में बारिश भी हुई थी.
WMO ने पुष्टि की है कि 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष था. यह रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दस साल की अवधि थी. इसमें हुए हीटवेव के चलते बाढ़, सूखा, जंगल की आग और चक्रवातों ने काफी तबाही मचाई है, लाखों लोगों के रोजमर्रा के जीवन को बदवाल आया और कई अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ, WMO स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट 2023 में कहा गया है. रिपोर्ट के अनुसार, मई में आए चक्रवात मोचा, बंगाल की खाड़ी में देखे गए सबसे तेज चक्रवातों में से एक था और इसने श्रीलंका से म्यांमार और भारत और बांग्लादेश के माध्यम से उप-क्षेत्र में 1.7 मिलियन विस्थापनों को ट्रिगर किया.
पिछले कुछ सालों में कई मौसम संबंधी घटना देखने को मिला है. बेमौसम बारिश, मानसून में देरी और लंबे समय तक चलने वाली गर्म लहरों के कारण कई फसलों - चावल, गेहूं, दलहन और तिलहन - के उत्पादन पर पिछले साल काफी प्रभाव पड़ा. जुलाई 2023 में अतिरिक्त वर्षा के कारण, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी राज्यों में सब्जी उत्पादन प्रभावित हुआ, जिससे देश भर में टमाटर की कीमतों में उछाल आया. पिछले साल मार्च में गेहूं की फसल की कटाई से ठीक पहले बेमौसम बारिश से पैदावार प्रभावित हुई. 2022 में, मार्च में हीटवेव के चलते फसल के दाने सिकुड़ गए जिससे उपज में कमी आई. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है, और घरेलू बाजार के लिए स्टॉक बनाने के लिए उसे गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अनुसार, गेहूं की फसल में दाना भरने के दौरान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक का औसत अधिकतम तापमान पौधे की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और इससे ऊपर तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री की वृद्धि से गेहूं की उपज में 3-4% की गिरावट आती है. पिछले वर्ष गेहूं किसानों के सामने आई टर्मिनल हीट समस्या को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने किसानों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया कि इस वर्ष 34 मिलियन हेक्टेयर के कुल बोए गए क्षेत्र के 60% से अधिक क्षेत्र में किसान जलवायु अनुकूल किस्मों की बुवाई करें.
First Updated : Saturday, 15 June 2024