कारगिल युद्ध में जितना पुरुष योद्धाओं का योगदान है उतना ही योगदान महिला योद्धाओं का भी है. ऐसी ही बहादुर महिला योद्धाओं में शामिल फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना है. जिनका नाम आपने कभी न कभी सुना ही होगा. फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना पहली भारतीय महिला पायलट थीं, जिन्होंने युद्ध में पाकिस्तान को पराजित किया था.
कैप्टन विक्रम बत्रा का नाम करगिल युद्ध के बहादुर जवानों में शामिल था. कैप्टन बत्रा ने कारगिल में प्वाइंट 4875 को पाकिस्तान के कब्जे से आज़ाद करवाया था. पाकिस्तान ने विक्रम बत्रा का कोडनेम 'शेरशाह' रखा था.
मेजर राजेश सिंह अधिकारी का जन्म उत्तराखंड के नैनीताल में 1970 में हुआ था. वह अपने मकसद को पूरा करने के लिए अपनी कंपनी का नेतृत्व कर रहे थे. मिशन के दौरान कई दुश्मनों को मौत के घाट उतारा था.
नायब सूबेदार योगेंद्र सिंह यादव घातक प्लाटून का हिस्सा थे. मिशन के दौरान कई गोलियां लगने के बावजूद उन्होंने मिशन जारी रखा था. उन्हें टाइगर हिल पर करीब 16500 फीट ऊंची चोटी पर बने तीन बंकरों पर क़ब्ज़ा करने का काम दिया गया था. उनकी बटालियन ने 12 जून को टोलोलिंग टॉप पर क़ब्ज़ा किया था.
लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे का नाम भी गर्व से लिया जाता है. मनोज कुमार पांडे 1/11 गोरखा राइफल्स के जवान थे. उनकी टीम को दुश्मन सैनिकों को खदेड़ने का काम सौंपा गया था. उन्होंने घुसपैठियों को वापस पीछे धकेलने के लिए कई हमले किए थे. मनोज कुमार पांडे ने अपने देश के लिए शहीद हो गए.
करगिल युद्ध में मेजर एम सरावनन ने अहम योगदान दिया था. कारगिल युद्ध में विजय के लिए बिहार रेजीमेंट के 18 सैनिकों ने बलिदान देकर देश हिफाज़त की थी.