High Court Judge Join BJP: कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद से इस्तीफा देने वाले न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने मंगलवार को घोषणा की कि वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे. गंगोपाध्याय ने मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा, 'शायद 7 मार्च वह कार्यक्रम है जब मैं भाजपा में शामिल होऊंगा.' गंगोपाध्याय ने कहा, 'पार्टी तय करेगी कि लोकसभा में उम्मीदवार होंगे या नहीं.' ये पहली बार नहीं है जब कोई जज राजनीति में अपनी किस्मत आजमाएंगे, इससे पहले भी कई जज राजनीति में बड़े पदों पर रह चुके हैं.
ऐसी अटकलें हैं कि गंगोपाध्याय भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बंगाल के तमलुक निर्वाचन क्षेत्र से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. हाल के चुनावों में तमलुक सीट सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का गढ़ रही है. 2009 के चुनावों के बाद से पार्टी ने इस पर कब्जा कर रखा है.
अभिजीत गंगोपाध्याय से पहले बॉम्बे हाई कोर्ट के जज रहे विजय बहुगुणा भी राजनीति के लिए अपना पद त्याग चुके हैं. फरवरी 1995 में विजय बहुगुणा ने जज पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा, बाद में वह सांसद बने और फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बने.
न्यायमूर्ति एम. रामा जोइस, जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे, उन्होंने बाकियों से थोड़ा अलग किया. जहां पर कई जजों ने अपने जज के पद को त्याग कर राजनीति में कदम रखा, वहीं ये रिटार्यमेंट के बाद राज्य सभा के सदस्य बने. वह 2002 से 2004 तक झारखंड और बिहार के राज्यपाल भी रहे. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे, न्यायाधीशों का राजनीति में प्रवेश केवल उच्च न्यायालय तक ही सीमित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के भी ऐसे कई उदाहरण हैं. सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश राजनीति में प्रवेश कर चुके हैं और कई बड़े पदों पर रहे हैं.
इस लिस्ट में जस्टिस रंजन गोगोई का नाम भी शामिल है. 3 अक्टूबर 2018 से 17 नवंबर 2019 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे गोगोई रिटायरमेंट के बाद राज्यसभा सदस्य के तौर पर राजनीति में कदम रखा. उन्होंने जब शपछ ली थी तब विपक्षी पार्टियों ने वॉकआउट कर दिया था. उस वक्त कांग्रेस ने रंजन गोगोई को राज्यसभा में आने के फैसले को भारतीय न्यायपालिका का अपमान कहकर विरोध जताया था.
अशोक भूषण 13 मई 2016 से 4 जुलाई 2021 तक सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में काम किया. जस्टिस अशोक भूषण ने भी बाकी के जजों की तरह ही रिटायरमेंट के 5 महीने बाद राजनीति में उतरने का फैसला लेते हुए 8 नवंबर 2021 को NCLT (National Company Law Appellate Tribunal) के अध्यक्ष के रूप में शपथ ली.
जस्टिस एस अब्दुल नजीर 17 फरवरी 2017 से 4 जनवरी 2023 तक सुप्रीम कोर्ट के जज थे. जस्टिस अब्दुल नजीर को उनकी सेवानिवृत्ति के ठीक एक महीने बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया.
रंगनाथ मिश्रा भारत के 21वें मुख्य न्यायाधीश थे, वह 25 सितंबर 1990 से 24 नवंबर 1991 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, न्यायमूर्ति मिश्रा 1993 से 1996 तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पहले अध्यक्ष के पद पर रहे, इसके बाद वह 1998 में राज्यसभा पहुंचे. 2004 में, उन्होंने धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग का नेतृत्व किया. First Updated : Wednesday, 06 March 2024