कलकत्ता हाईकोर्ट का एक जज जो नौकरी और घर-परिवार सबकुछ छोड़कर तंत्र साधना में जुट गया. जज तंत्र विद्या में ऐसा रमा कि दर्जनों किताबें तक लिख डाली. यह कहानी सर जॉन जॉर्ज वुडरोफ (Sir John George Woodroffe) की है. इनका जन्म 15 दिसंबर 1865 को हुआ था और उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. साल 1890 में वह भारत आए और कलकत्ता हाई कोर्ट में बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू कर दी. कुछ समय बाद सर जॉन कलकत्ता यूनिवर्सिटी के फेलो बने और बाद में लॉ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर बन गए.
इसके बाद 1902 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें अपना स्टैंडिंग काउंसिल नियुक्त कर दिया और 2 साल बाद ही यानी 1904 में उन्हें कलकत्ता हाई कोर्ट का जज बना दिया गया. कलकत्ता हाईकोर्ट में आने के बाद सर जॉन पूरी तरह बदल गए. इसी दौर में उनकी तंत्र साधना में दिलचस्पी बढ़ने लगी. इसके बाद जज साहब तंत्र विद्या से जुड़ी तमाम किताबें मंगवाकर पढ़ने लगे. Bar & Bench पर सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट नमित सक्सेना लिखते हैं कि सर जॉन जॉर्ज वुडरोफ की तंत्र विद्या में दिलचस्पी की वजह भी बहुत रोचक है.
सर जॉन की जिंदगी में एख दिन ऐसा आया जब को अपनी कोर्ट में बैठे थे और उन्हें फैसला सुनाना था. केस बहुत आसान था और अमूमन सर जॉन ऐसे केसों का फैसला चुटकियों में टाइप करवा देते थे, लेकिन उस दिन कुछ अजीब हुआ. जब फैसला लिखाने बैठे तो एक शब्द भी बोल नहीं पाए. दिमाग में कुछ आ ही नहीं रहा था. थोड़ी देर बाद जब उन्होंने अपने मातहतों से इसकी चर्चा की तो पता लगा कि मुकदमे की एक पार्टी कथित तौर पर तंत्र विद्या जानती थी और जिस वक्त वह फैसला टाइप करवा रहे थे, उस वक्त वो लोग कोर्ट के बाहर ही तंत्र साधना कर रहे थे ताकि फैसला उनके पक्ष में आ सके. वुडरोफ ने फौरन अपने स्टाफ को उस तांत्रिक को पकड़ने भेजा, लेकिन तब तक वो जा चुका था. उन्हें बताया कि तंत्र साधना में इस विद्या को ‘अभिचार’ या ‘स्तंभन’ कहा जाता है. इस वाकये का सर जॉन जॉर्ज वुडरोफ पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा. इसके बाद वो भी तंत्र विद्या सीखने के लिए निकल पड़े.
सर जॉन ने पहले तंत्र साधना से जुड़ी कुछ किताबें मंगवाईं उनको पढ़ा फिर कुंडलनी योग का अध्ययन शुरू किया. चूंकि ज्यादातर किताबें संस्कृत में थीं, इसलिए खुद संस्कृत सीखी ताकि मूल पुस्तक पढ़ सकें. सर जॉन ने आर्थर एवलॉन के छद्म नाम से तंत्र विद्या और तंत्र साधना पर तमाम पुस्तकें भी लिखी और अनुवाद किया. जिनमें से एक किताब ‘इंट्रोडक्शन टू तंत्र शास्त्र’ आज भी बहुत प्रतिष्ठित है. इसके अलावा ‘द सर्पेंट पावर’ (The Serpent Power), ‘प्रिंसिपल्स ऑफ़ तंत्र शक्ति’ और Sakti & Sakta जैसी किताबें भी लिखी. सर जॉन तंत्र विद्या में इतने रम गए कि उन्होंने दीक्षा तक ले ली और सब कुछ छोड़-छाड़ तंत्र साधना में जुट गए थे. First Updated : Sunday, 17 December 2023