'ठीक है सैलरी नहीं लेंगे', CM और मंत्रियों का फैसला; कितनी पस्त है हिमाचल की हालत?

Himachal Pradesh Financial Crisis: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का एक फैसला इन दिनों काफी सुर्खियों में है. उन्होंने खुद अगले दो महीने तक वेतन न लेने का फासला लिया है. इसके साथ ही उन्होंने मंत्री, मुख्य संसदीय सचिव तथा बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के वेतन न लेने की बात कही है. ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या हिमाचल प्रदेश के हालात इतने खराब हैं. आइये जानें राज्य की वित्तीय स्थिति के आंकड़े.

JBT Desk
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Himachal Pradesh Financial Crisis: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव अगले दो महीने का वेतन नहीं लेंगे. हालांकि, ये वेतन केवल विलंबित किया गया है. उन्हें ये बाद में रिलीज किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने यह जानकारी विधानसभा में दी है. उन्होंने इसके पीछे वित्तीय स्थिति का हवाला दिया है. इतना ही नहीं CM ने सभा के सभी सदस्यों से भी अपने वेतन एवं भत्ते स्वेच्छा से विलंबित करने की अपील की है. जिससे अन्य जरूरी योजनाओं के लिए पैसे का बंदोबस्त हो सके. ऐसे में अब सवाल उठा है कि राज्य पर आखिर कितना कर्ज है तो आइये जानते हैं...

सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी. आज मैं मुख्यमंत्री हूं, कल कोई और आएगा. हालांकि, प्रदेश को वर्तमान वित्तीय हालात पर नहीं छोड़ सकते हैं. अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो युवा पीढ़ी को कैसे आगे बढ़ाएंगे. हमें आर्थिक हालात ठीक करने के लिए कड़े लेने होंगे. हम इसे दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

प्रदेश पर भारी कर्ज

हिमाचल पर अभी 87 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. ये देश में 9 पहाड़ी राज्यों में सबसे ज्यादा है. 31 मार्च 2025 तक इसके 94,992 करोड़ रुपए होने की आशंका है. प्रदेश का बजट 58,444 करोड़ रुपए है. इसमें से केवल वेतन, पेंशन और पुराना कर्ज चुकाने में 42,079 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं. इसमें से तो 20,000 हजार करोड़ रुपए सालाना ओल्ड पेंशन स्कीम का खर्च है. हालात ये हो गए हैं कि 28 हजार कर्मचारियों को पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य मदों के लिए सरकार 1000 करोड़ नहीं दे पाई.

बजट को 100 रुपये में ऐसे बांटे

  • 25 रुपए वेतन
  • 17 रुपए पेंशन
  • 11 रुपए ब्याज
  • 9 रुपए कर्ज चुकाना 
  • 10 रुपए अनुदान
  • 28 रुपए विकास और वादे

हर आदमी पर 1.17 लाख

प्रदेश के ऊपर इतना कर्ज है कि हर आदमी के हिस्से में 1 लाख 17 हजार रुपए आ रहे हैं. ये अरुणाचल प्रदेश से भी ज्यादा है. कही न कहीं इसके पीछे फ्री के जो वादों का खर्च भी है. देखिए कहां कितना खर्च है.

  • 1500 रुपए महीना महिलाओं को देने में 800 करोड़
  • ओल्ड पेंशन स्कीम लागू पर 1000 करोड़ रुपए सालाना
  • फ्री बिजली की सब्सिडी के लिए 18 हजार करोड़ रुपया
  • इन तीन वादों के लिए कुल 19800 करोड़ रुपए सालाना खर्च है

सियासत जोरदार

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पिछली भाजपा सरकार को इन हालोंतो के लिए निशाने पर ले रहे हैं. उनका कहना है कि ये हमें विरोसत में मिला है. हम कमाई बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. वहीं भाजपा इस मामले को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी तक से सवाल कर रही है.

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30 August 2024, 10:57 AM IST

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