Himachal Pradesh Financial Crisis: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री और मुख्य संसदीय सचिव अगले दो महीने का वेतन नहीं लेंगे. हालांकि, ये वेतन केवल विलंबित किया गया है. उन्हें ये बाद में रिलीज किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने यह जानकारी विधानसभा में दी है. उन्होंने इसके पीछे वित्तीय स्थिति का हवाला दिया है. इतना ही नहीं CM ने सभा के सभी सदस्यों से भी अपने वेतन एवं भत्ते स्वेच्छा से विलंबित करने की अपील की है. जिससे अन्य जरूरी योजनाओं के लिए पैसे का बंदोबस्त हो सके. ऐसे में अब सवाल उठा है कि राज्य पर आखिर कितना कर्ज है तो आइये जानते हैं...
सदन में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी. आज मैं मुख्यमंत्री हूं, कल कोई और आएगा. हालांकि, प्रदेश को वर्तमान वित्तीय हालात पर नहीं छोड़ सकते हैं. अगर अभी कुछ नहीं किया गया तो युवा पीढ़ी को कैसे आगे बढ़ाएंगे. हमें आर्थिक हालात ठीक करने के लिए कड़े लेने होंगे. हम इसे दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.
हिमाचल पर अभी 87 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. ये देश में 9 पहाड़ी राज्यों में सबसे ज्यादा है. 31 मार्च 2025 तक इसके 94,992 करोड़ रुपए होने की आशंका है. प्रदेश का बजट 58,444 करोड़ रुपए है. इसमें से केवल वेतन, पेंशन और पुराना कर्ज चुकाने में 42,079 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं. इसमें से तो 20,000 हजार करोड़ रुपए सालाना ओल्ड पेंशन स्कीम का खर्च है. हालात ये हो गए हैं कि 28 हजार कर्मचारियों को पेंशन, ग्रेच्युटी और अन्य मदों के लिए सरकार 1000 करोड़ नहीं दे पाई.
प्रदेश के ऊपर इतना कर्ज है कि हर आदमी के हिस्से में 1 लाख 17 हजार रुपए आ रहे हैं. ये अरुणाचल प्रदेश से भी ज्यादा है. कही न कहीं इसके पीछे फ्री के जो वादों का खर्च भी है. देखिए कहां कितना खर्च है.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू पिछली भाजपा सरकार को इन हालोंतो के लिए निशाने पर ले रहे हैं. उनका कहना है कि ये हमें विरोसत में मिला है. हम कमाई बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. वहीं भाजपा इस मामले को लेकर कांग्रेस और राहुल गांधी तक से सवाल कर रही है. First Updated : Friday, 30 August 2024