अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक बार फिर अडानी ग्रुप से जुड़े मामले में नया दावा किया है. इस दावे के अनुसार, सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल किए गए दो अस्पष्ट ऑफशोर फंडों में हिस्सेदारी थी. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच अडानी ग्रुप के साथ मिली हुई थीं.
यही कारण है कि उन्होंने 18 महीनों के दौरान अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस खुलासे की जानकारी सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की. एक बार फिर से अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग के निशाने पर है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अडानी घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में से सेबी चेयरपर्सन की भी हिस्सेदारी थी.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आगे लिखा गया कि हमारी रिपोर्ट की पुष्टि और विस्तार करने वाले 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांचों के साथ- साथ सबूतों के बावजूद भारतीय प्रतिभूति नियामक यानी सेबी ने अडानी समूब के खिलाफ कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की है. इसके बजाय 27 जून, 2024 को सेबी ने हमें एक कारण बताओं नोटिस भेजा. सेबी ने हमारे 106 पेज के विश्लेषण में किसी भी तथ्यात्मक त्रुटि का आरोप नहीं लगाया. बल्कि यह कहा कि जो भी सबूत किए गए अपर्याप्त थे.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपने आरोपों में कहा है कि अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 तक माधबी पुरी बुच सेबी की होलटाइम मेंबर और चेयरपर्सन थीं. इस दौरान उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नामक कंसल्टिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था. 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन नियुक्त किए जाने से दो हफ्ते पहले, उन्होंने अपने शेयर्स अपने पति धवल बुच के नाम ट्रांसफर कर दिए थे. First Updated : Saturday, 10 August 2024