भारतीय वायुसेना के लिए ऐतिहासिक सौदा: 26,000 करोड़ रुपये में 240 एरो इंजन खरीदने की मंजूरी
मोदी सरकार ने भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ा सौदा मंजूर किया है जिसमें 24,000 करोड़ रुपये में 240 एरो इंजन खरीदे जाएंगे. ये इंजन सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए होंगे, जो वायुसेना की मुख्य ताकत माने जाते हैं. इस सौदे के तहत भारतीय एयरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) इंजन का निर्माण और आपूर्ति करेगी जिससे वायुसेना की ताकत बढ़ेगी और देश की रक्षा तैयारियों को मजबूती मिलेगी.
Modi Cabinet: मोदी सरकार ने भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए एक महत्वपूर्ण सौदे को मंजूरी दे दी है जिसके तहत भारतीय एयरोनॉटिकल लिमिटेड (HAL) से 2,000 करोड़ रुपये की लागत में 240 एरो इंजन खरीदे जाएंगे. इस सौदे का मुख्य उद्देश्य वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई (Su-30MKI) लड़ाकू विमानों की क्षमताओं को बढ़ाना है.
सुखोई-30 एमकेआई विमान भारतीय वायुसेना की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं. ये विमान अपने उच्च प्रदर्शन, लंबी दूरी और विभिन्न प्रकार की मिसाइलों की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. इन विमानों के एरो इंजन का अच्छा रखरखाव और समय पर बदलाव बहुत जरूरी होता है ताकि विमानों की प्रदर्शन क्षमता बनी रहे और उनकी सेवा अवधि बढ़ सके.
वायु सेना को मिलेगी मजबूती
इस सौदे के तहत, HAL 240 एरो इंजन का निर्माण और आपूर्ति करेगी. इन इंजन की गुणवत्ता और विश्वसनीयता से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की ताकत और भी बढ़ जाएगी. इससे न केवल वायुसेना की सैन्य क्षमता में सुधार होगा बल्कि इससे देश की रक्षा तैयारियों को भी एक मजबूत आधार मिलेगा.
Cabinet Committee on Security, on September 02, 2024, approved the proposal for procurement of 240 aero-engines (AL-31FP) for Su-30 MKI aircraft of the Indian Air Force (IAF) under the Buy (Indian) category from Hindustan Aeronautics Limited (HAL) at a cost of over Rs 26,000… pic.twitter.com/26QaZyTUUR
— ANI (@ANI) September 2, 2024
आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत हुआ सौदा
दरअसल यह सौदा सरकार की 'आत्मनिर्भर भारत' योजना के तहत किया गया है, जो कि रक्षा उपकरणों के निर्माण में स्वदेशी उद्योगों की भूमिका को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है. इससे देश में तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और साथ ही रक्षा क्षेत्र में स्थानीय उद्योगों को भी प्रोत्साहन मिलेगा. कुल मिलाकर यह सौदा भारतीय वायुसेना की ताकत को और बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे भारतीय रक्षा उद्योग को भी बड़ा बल मिलेगा.