Chandrayaan 3: 90 के दशक का ख्वाब आज हो हुआ साकार, जानिए चंद्रयान 1 से 3 तक की पूरी कहानी

आज हम भले ही चंद्रयान की सफलता का जश्न मना रहे हैं लेकिन हमारे देश की इस कामयाबी के पीछे वर्षों पुरानी तपस्या और मजबूत इच्छाशक्ति है.

Akshay Singh
Edited By: Akshay Singh

Chandrayaan 3: भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में अपने लैंडर को उतार कर साबित कर दिया है कि वह दुनिया की महाशक्ति है. स्पेश प्रोग्राम में हमारा इसरो किसी देश की संस्था से पीछे नहीं है. ISRO चंद्रयान के विक्रम लैंडर को उस स्थान पर उतारा है जहां आजतक कोई देश पहुंच नहीं पाया है. यह अंधेरा इलाका है जहां सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती है. माना जा रहा है कि यहां से कई प्रकार के रसायन पाए जा सकते हैं जिनके आधार पर चंद्रमा पर पाए जाने वाले पदार्थों के बारे में स्टडी की जा सकेगी. 

हम भले ही आज चंद्रयान 3 की सफलता पर खुशी मना रहे हों लेकिन हमारे देश की इस कामयाबी के पीछे वर्षों पुरानी तपस्या और मजबूत इच्छाशक्ति है. ISRO के संघर्षभरे सफर से तो अधिकतर लोग वाकिफ हैं. इस स्टोरी में आपको बताते हैं चंद्रयान के सफर के बारे में जो 1990 के दशक में डॉ. के कस्तूरीरंगन के सपनो से चलकर आज साकार हो रहा है. 

ख्वाब से शुरू हुआ सफर 
बहुत कम लोग इस बारे में जानते हैं कि भारत ने चंद्रमा में जाने का ख्वाब कैसे देखा और इसमें किसका योगदान है. मीडिया को दिए हुए एक इंटरव्यू में चंद्रयान 1 के डायरेक्टर श्रीनिवास हेगड़े ने कहा था कि चंद्रमा पर जाने का सपना डॉ. के कस्तूरीरंगन ने देखा था जो कि 1994 से 2003 तक इसरो के अध्यक्ष थे. श्रीनिवास ने बताया था कि कस्तूरीरंगन चाहते थे कि ISRO भारत की महाशक्ति बनने की महत्वाकाक्षां में एक छोटी सी भूमिका निभाए. उनके ही इस विचार और प्रयास से चंद्रयान मिशन एक आकार ले सका और चंद्रयान 1 को लॉन्च किया गया था. 

डॉ. के कस्तूरीरंगन
डॉ. के कस्तूरीरंगन

चंद्रयान 1 बनी बड़ी उपलब्धि 
22 अक्टूबर, 2008 को चंद्रयान 1 को लॉन्च किया गया था. यह भारत का पहला मिशन था. इस मिशन में भारत, अमेरिका, जर्मनी, स्वीडन, ब्रिटेन और बुल्गारिया में बनाए गए कुल 11 वैज्ञानिक उपकरण प्रयोग में लाए गए थे. इस मिशन ने चंद्रमा की 3,400 परिक्रमाएं की थी. 29 अगस्त 2009 को यह मिशन ISRO से संपर्क टूटने के बाद समाप्त हो गया था. 

चंद्रयान 2 ने दी नई उम्मीदें 
22 जुलाई 2019 को चंद्रयान 2 को भारत की धरती से लॉन्च किया गया था. लॉंन्चिंग के लगभग एक महीने के अंदर यानी 20 अगस्त 2019 को सुबह 09:02 बजे यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया था. पूरा देश इस जश्न को एक साथ मना रहा था. ये मिशन सिर्फ वैज्ञानिक दायरे तक ही सीमित नहीं था बल्कि धरती से चंद्रमा को निहारते हुए हर एक भारतीय के सपनों का मिशन था. 

पूर्ण सफल नहीं हो पाया पिछला मिशन
चंद्रयान 2 में ऑरबिटर के साथ विक्रम लैंडर को भी भेजा गया था. जो चांद की सतह पर उतर कर वहां पानी के होने का प्रमाण जुटाने वाला था. 2 सितंबर, 2019 को चंद्रमा से भारत के लिए एक खबर मिलती है कि 100 किमी चंद्र की ध्रुवीय कक्षा में परिक्रमा करने के बाद विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतारने के लिए ऑर्बिटर से अलग कर दिया गया है. तभी अचनानक से पता चलता है कि कि चांद की सतह पर उतारा जाने वाला विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अपना संपर्क खो बैठता है. 

Chandrayaan Lander
Chandrayaan Lander

इस प्रकार चंद्रयान 2 से जितनी सफलता और जिन परिणामों की उम्मीद भारत कर रहा था वह हमारे हाथ नहीं लगी. अगर ये मिशन पूरी तरह से सफल हो जाता तो अंतरिक्ष में लैंड करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश होता. हालांकि उस समय भी भारत के इस मिशन ने 95 फीसदी तक सफलता पाई थी. 

इसके बाद शुरू हुआ मिशन चंद्रयान 3 
चंद्रयान 2 में पूर्ण सफलता न पाने के बाद भी भारत रुका नहीं. इस दौरान ISRO के CEO बदल गए. डॉ. के सीवान की जगह एस. सोमनाथ ने दायित्व संभाला लेकिन जोश और जजबा सब कुछ वही. मात्र 4 साल में ही ISRO एक बार फिर से तैयार हो गया चंद्रमा में जीवन की तलाश करने के लिए. चंद्रयान-3 90 के दशक में देखे गए उसी ख्वाब को हकीकत में बदलने का एक माध्यम था जो अब पूरा हो चुका है. ISRO की यह उपलब्धी भारत के इतिहास में नई इबारत लिखने वाला है. 

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22 August 2023, 06:53 PM IST

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