कैसे एक दूध बेचने वाला बना देश का खूंखार डाकू, पढ़ें डकैत जगन गुर्जर की कहानी
चंबल के बीहड़ वैसे तो अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं, लेकिन चंबल के बीहड़ों में खौफ, भय एवं आतंक की चीखें भी छुपी हुई हैं. सदियों से चंबल की घाटी बागी, बंदूक, बदमाश एवं डकैतों के नाम से कुख्यात और विख्यात रही है. लगभग 50 साल से यहां डकैतों का दबदबा रहा है. लेकिन आज हम आपको एक कुख्यात डाकु के बारे में बताने वाले है. जो की फेहरिस्त में एक नाम दूध बेचने का काम किया करता था.
देश में कई खूंखार डकैत ऐसे ही जिनकी कहानी लगभग सभी जानते होंगे. लेकिन आज हम आपको एक कुख्यात डाकू के बारे में बताने वाले हैं. एक ऐसा डाकू जो कभी दूध बेचने का काम किया करता था. बताया जाता है कि इंतकाम की आग ने जगन गुर्जर को डाकू बनने पर मजबूर कर दिया. जगन गुर्जर के पिता शिवचरण गुर्जर स्थानीय लोक देवता बाबू महाराज मंदिर में पूजा अर्चना करते थे. एक बार साल 1994 में बाबू महाराज मंदिर की कमेटी के सदस्यों ने प्रसाद वितरण विवाद में शिवचरण गुर्जर को अपमानित कर दिया.
जगन गुर्जर अपने पिता का अपमान सहन नहीं कर पाया. गुस्से में आकर जगन गुर्जर ने कमेटी के सदस्यों की पिटाई कर दी. इस घटना के बाद एक दूध बेचने वाला युवक डकैत बन गया. पहले जगन गुर्जर बीहड़ के मोहन डकैत की गैंग में शामिल हो गया. मोहन गुर्जर की गैंग में शामिल होने के बाद जगन गुर्जर का आतंक काफी ज्यादा बढ़ गया. जीजा की जमीनी विवाद में हत्या के बाद भी जगन गुर्जर डकैत मोहन गुर्जर की गैंग से जुड़ा रहा.
कुछ सालों में कुख्यात बना जगन गुर्जर
इसके बाद इनका लूटपाट जारी रही. साल 1999 में जगन गुर्जर का डकैत मोहन गुर्जर के साथ विवाद हुआ. जगन गुर्जर ने मोहन गुर्जर को मौत के घाट उतारकर अपने जीजा की हत्या का बदला लिया और मोहन गुर्जर की गैंग का सरदार बन गया. इसके बाद जगन गुर्जर ने अपनी गैंग में अपने तीनों भाइयों को शामिल कर लिया. जगन गुर्जर का तीन राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश तक में बोलबाला चलता था. ये कुछ ही सालों में कुख्यात हो गया.
इतने मामले हैं दर्ज
जगन गुर्जर पर करीब 123 से भी ज्यादा लूट, अपहरण, हत्या, रंगदारी के मामले दर्ज हैं. जगन गुर्जर पुलिस की गिरफ्त में कभी नहीं आया.आखिरकार 2001 में धौलपुर के तत्कालीन एसपी बीजू जॉर्ज जोसफ के सामने सरेंडर कर दिया. लगभग 8 वर्ष जेल में रहने के बाद जगन गुर्जर बाहर आया. बताया गया है कि जगन गुर्जर ने जेल से बाहर आकर राजनीति में हाथ आजमाने की कोशिश की.
राजनीति में हाथ आजमाने की कोशिश
पत्नी ममता को 2017 में धौलपुर विधानसभा उपचुनाव लड़वाया. जगन गुर्जर की पत्नी चुनाव बुरी तरह हार गई. पत्नी की हार के बाद जगन गुर्जर फिर लोगों पर दबाब बनाने लगा. जगन गुर्जर का आतंक बढ़ता देख पुलिस ने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया. उसके बाद जगन गुर्जर ने एनकाउंटर के डर से 19 अगस्त 2018 को तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल के सामने सरेंडर कर दिया. एक बार फिर ये कुख्यात डकैत जयपुर में पकड़ा गया.जयपुर कमिश्नर बीजू जार्ज जोसेफ के निर्देश में कार्रवाई ,एडिशनल कमिश्नर कैलाश बिश्नोई के सुपरविजन में टीम को सफलता मिली है.