Explainer : गणतंत्र दिवस 26 जनवरी की परेड के लिए कैसे चुनी जाती हैं राज्यों की झांकियां?

रक्षा मंत्रालय झांकियों को बनाने में इको-फ्रेंडली मैटेरियल का इस्तेमाल करने पर जोर देता है. इसके अलावा मंत्रालय हर राज्य को झांकी के लिए एक ट्रैक्टर और एक ट्रेलर उपलब्ध कराता है.

Pankaj Soni
Pankaj Soni

इस साल यानी 2024 के गणतंत्र दिवस पर दिल्ली, कर्नाटक, पंजाब और पश्चिम बंगाल की झांकियां नजर नहीं आएंगी. क्योंकि इनको रिजेक्ट कर दिया गया है. इसके पहले भी कई राज्यों की झांकियों को रिजेक्ट किया जाता रहा है. इसको लेकर राज्यों के नेता सेलेक्शन प्रॉसेस पर सवाल भी उठाते हैं. रक्षा मंत्रालय ने जवाब देते हुए कहा कि वो झांकी के व्यापक विषय के साथ मेल नहीं खा रही थीं. पंजाब की झांकी रिजेक्ट होने पर मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, हमें इसके लिए भाजपा की एनओसी की जरूरत नहीं है. ऐसे में सवाल उठता है कि गणतंत्र दिवस की झांकी को कैसे चुना जाता है? क्या कमी होने की वजह से झांकियों को रिजेक्ट किया जाता है. झांकियों के चयन की प्रक्रिया कब शुरू होती है और इसको कितने चरणों से गुजरना पड़ता है.

झांकियों का चयन कौन करता है?

गणतंत्र दिवस से जुड़े सभी आयोजनों के लिए रक्षा मंत्रालय जिम्मेदार होता है. रक्षा मंत्रालय,  राज्यों, UT और संवैधानिक ईकाइयों से झांकी के लिए आवेदन मांगता है. इसी के तहत रक्षा मंत्रालय ने अक्टूबर में सर्कुलर जारी करके राज्यों से आवेदन मांगा था. इसके लिए अलग-अलग जगहों से आए आवेदनों में यह बताया गया था कि उनकी झांकी कैसी रहेगी.इन झांकियों का चयन कौन करता है अब इसके बारे में समझते हैं. दरअसल, इसके लिए रक्षा मंत्रालय एक कमेटी बनाता है. इस सेलेक्शन कमेटी में कल्चर, पेंटिंग, म्यूजिक, आर्किटेक्चर, कोरियाग्राफी और स्कल्प्चर समेत अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल होते हैं. एक्सपर्ट कमेटी आवेदनों की थीम, कॉन्सेप्ट और डिजाइन को चेक करती है.

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झांकी का फाइल फोटो.

 

इस चरण में झांकी का स्केच शामिल होता है, जिसमें इसकी खूबियों का जिक्र होता है. पहले चक्र के बाद आवेदकों से उसका 3डी मॉडल भेजने को कहा जाता है. दूसरे चक्र में अगर मॉडल को मंजूरी मिलती है तो उस राज्य में झांकी बनाने की शुरुआत की जाती है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सेलेक्शन कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे- झांकी का लुक लोगों पर कितना असर डालेगी. किस तरह का संगीत जोड़ा गया है और विषय को कितनी गहराई से दिखाया गया है.

गाइडलाइन क्या कहती है?

झांकियों को बनाने से लेकर चयन तक की पूरी प्रक्रिया करीब 6 से 7 चरणों में होती है. इसमें कई दिन लगते हैं. कई मानकों पर खरा उतरने के बाद इसकी शॉर्ट लिस्टिंग की जाती है. फाइनल अप्रूवल देते वक्त भी कई बदलाव करने को कहा जा सकता है. इसका लेकर रक्षा मंत्रालय की तरफ से गाइडलाइन जारी की गई है, जिसमें कहा गया है कि दो राज्यों की झांकी एक तरह की नहीं होनी चाहिए. राज्यों या UT के नाम के अलावा झांकी पर किसी तरह की लिखावट या लोगो का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. राज्य या UT का नाम भी हिन्दी या अंग्रेजी में होना चाहिए. अन्य भाषा का नाम किनारों पर लिखा जा सकता है. रक्षा मंत्रालय इसे बनाने में इको-फ्रेंडली मैटेरियल का इस्तेमाल करने पर जोर देता है. इसके अलावा मंत्रालय हर राज्य को झांकी के लिए एक ट्रैक्टर और एक ट्रेलर उपलब्ध कराता है.

झांकियों पर सियासत शुरू

पिछले कुछ सालों से देखने में आ रहा है कि कई राज्यों की झांकियों को रिजेक्ट कर दिया जाता है. इसके बाद सियासत शुरू हो जाती है. पिछले साल कर्नाटक की झांकी रिजेक्ट होने पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने “सात करोड़ कन्नड़ भाषाइयों का अपमान किया है”. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार ने आम आदमी पार्टी (आप) शासित राज्यों के साथ भेदभाव किया है. वहीं ममता बनर्जी भी झांकी के रिजेक्ट होने पर मोदी सरकार पर निशाना साध चुकी हैं.

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14 January 2024, 12:59 PM IST

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