पहले दो सीटें, फिर बढ़ता गया कारवां, अब बैकफुट पर कांग्रेस..., कैसे भारत की सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा?

भारतीय जनता पार्टी 2025 में अपना 45वां स्थापना दिवस मनाने जा रही है. इस अवसर पर यह पुस्तक पार्टी के विकास की यात्रा को प्रदर्शित करती है. इसमें जनसंघ की वैचारिक नींव से लेकर भाजपा के गठन, राम जन्मभूमि आंदोलन, गठबंधन राजनीति के दौर और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बहुमत प्राप्त सरकार बनने तक की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाया गया है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

भारतीय जनता पार्टी, 6 अप्रैल 2025 को अपना 45वां स्थापना मना रही है. यह पार्टी 1984 के लोकसभा चुनावों में केवल दो सीटों पर विजयी होने वाली एक छोटी राजनीतिक इकाई से बढ़ते हुए आज केंद्र सरकार और 18 राज्यों में सत्ता में है. भाजपा का यह सफर भारतीय राजनीति के एक बड़े बदलाव का प्रतीक है, जो स्वतंत्रता के बाद की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ दर्शाता है. इस यात्रा के दौरान पार्टी के वैचारिक विकास, प्रमुख मील के पत्थरों, संगठनात्मक ताकत और राजनीतिक परिस्थितियों का योगदान अहम रहा है.  

उत्पत्ति: जनसंघ से भाजपा तक  

भाजपा की जड़ें भारतीय जनसंघ में हैं, जिसकी स्थापना 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी. मुखर्जी, पहले नेहरू मंत्रिमंडल में मंत्री थे. कांग्रेस से मतभेदों के कारण अलग हो गए थे. विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तों और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हिंदू समुदाय के उत्पीड़न को लेकर. 1950 और 1960 के दशक में जनसंघ कांग्रेस के मुखर विरोधी के रूप में उभरी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में यह पार्टी मजबूती से उभरने लगी. 1967 के चुनावों में इसने कांग्रेस के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.  

आपातकाल और जनता पार्टी का गठन  

आपातकाल (1975-77) के बाद जनसंघ ने अन्य विपक्षी दलों के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया, जो 1977 में केंद्र में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. इस सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे और अटल बिहारी वाजपेयी एवं लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेता कैबिनेट मंत्री बने. हालांकि, आंतरिक विरोधाभासों के कारण यह गठबंधन जल्दी टूट गया.  

भाजपा की आधिकारिक स्थापना  

6 अप्रैल 1980 को मुंबई में भाजपा की आधिकारिक स्थापना हुई, जिसके पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने. हालांकि शुरुआत में पार्टी को सफलता प्राप्त करने में कठिनाई हुई, लेकिन उसने अपनी वैचारिक दिशा और संगठनात्मक ताकत को मजबूत किया.  

प्रारंभिक संघर्ष और हिंदुत्व की ओर बदलाव  

1984 के आम चुनाव में भाजपा को केवल दो सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस ने 404 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की. हालांकि हार के बाद भी भाजपा ने अपनी रणनीतियों को बदलते हुए हिंदुत्व के विचारधारा को अपनाया और राम जन्मभूमि आंदोलन के साथ खुद को जोड़ लिया. इस बदलाव ने पार्टी को महत्वपूर्ण रूप से उभारने में मदद की.  

1990 के दशक में बढ़त: अयोध्या आंदोलन और चुनावी सफलता  

1980 के दशक के अंत में अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर मंदिर निर्माण की मांग को लेकर राम जन्मभूमि आंदोलन भाजपा के लिए अहम बन गया. लालकृष्ण आडवाणी की 1990 की रथ यात्रा ने पार्टी का समर्थन बढ़ाया और 1989 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने 85 सीटें हासिल की. 1991 तक यह संख्या बढ़कर 120 हो गई. इस दौरान पार्टी ने राज्यों में सरकारें भी बनाई, जैसे मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान.  

एनडीए युग: सत्ता में वापसी  

1998 में भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार बनी. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने 1999 में स्थिर बहुमत हासिल किया और 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया. इस दौरान बुनियादी ढांचे, परमाणु नीति और आर्थिक उदारीकरण पर जोर दिया गया. 

मोदी युग और भाजपा की सफलता  

2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया. 2019 में पार्टी ने और भी बड़ी जीत हासिल की. पार्टी के प्रचार में राष्ट्रवाद, सामाजिक कल्याण योजनाएं और डिजिटल पहुंच का मिश्रण था, जो जनता के बीच गहरा प्रभाव छोड़ गया.  

भाजपा की सफलता के कारण  

1. संगठनात्मक ताकत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रेरित पार्टी का जमीनी स्तर पर मजबूत नेटवर्क इसे चुनावी मशीनरी में दक्ष बनाता है.  
2. वैचारिक स्पष्टता: भाजपा ने हमेशा एक सुसंगत वैचारिक लाइन बनाए रखी, जिससे उसे स्थिर समर्थन मिला.  
3. नेतृत्व: वाजपेयी और मोदी जैसे मजबूत नेताओं के नेतृत्व में पार्टी ने अपनी छवि को एक निर्णायक और प्रभावी पार्टी के रूप में स्थापित किया.  
4. संचार: भाजपा ने सोशल मीडिया और अन्य जनसंचार उपकरणों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया.  
5. कमजोर विपक्ष: विपक्षी दलों के बीच संघर्ष और असंगति ने भाजपा को राजनीतिक रूप से मजबूत किया.  

भाजपा की संगठनात्मक संरचना  

भाजपा का संगठनात्मक ढांचा पांच स्तरीय है: राष्ट्रीय, राज्य, जिला, मंडल और बूथ स्तर. इस संरचना ने पार्टी को भारत के विविध राजनीतिक परिदृश्य में प्रभावी बनाए रखा है.  

वर्तमान स्थिति  

2025 तक, भाजपा उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और असम सहित 14 राज्यों में सत्ता में है और एनडीए के सहयोग से अन्य राज्यों में भी इसका प्रभाव है. भाजपा का उदय एक रणनीतिक योजना, वैचारिक दृढ़ता और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के समर्थन का परिणाम है.

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06 April 2025, 05:26 PM IST

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