Explainer: कैसे हुई क्रिसमस की शुरुआत? सेंटा क्लॉज और क्रिसमस ट्री का क्या है इतिहास
Story Behind Christmas:ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाले त्योहार क्रिसमस को कल देश-दुनिया में मनाया जाएगा. इसके लिए गिरिजाघरों को सजा दिया गया है. क्रिसमस के दिन लोग गिरिजा घरों पर जाते हैं कैरल गाते हैं.
Story Behind Christmas : ईसा मसीह के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाले त्योहार क्रिसमस को कल देश-दुनिया में मनाया जाएगा. इसके लिए गिरिजाघरों को सजा दिया गया है. क्रिसमस के दिन लोग गिरिजा घरों पर जाते हैं कैरल गाते हैं एक-दूसरे को उपहार देते हैं और अपने घरों में क्रिसमस ट्री को रोशनी के साथ सजाते हैं. कल क्रिसमस डे है इसके एक दिन पहले हम आपको क्रिसमस ट्री और सेंटा क्लाज के इतिहास के बारे में कुछ रोचक जानकारी दे रहे हैं.
क्रिसमस की शुरुआत कैसे हुई
ईसाई धर्म के अस्तित्व में आने से पहले लोग सर्दियों में सबसे अंधेरी रात को जानवरों की बलि देकर मनाते थे. मॉडर्न क्रिसमस की शुरुआत चौथी शताब्दी से मानी जाती है. तब इसकी तारीख 25 दिसंबर को ईसा मसीह की जन्मतिथि के आधार पर नहीं चुनी गई थी. कहा जाता है कि पोप जूलियस 1 ने इसे तब चल रहे सर्दी के मौसम में मनाए जाने वाले त्योहारों को देखते हुए रणनीतिक रूप से यह तारीख दी थी, जिससे कि अधिक से अधिक संख्या में लोग इस पर्व को मना सकें.
क्या है क्रिसमस ट्री का इतिहास
ईसाइयों में घर के अंदर क्रिसमस ट्री को सजाने की परंपरा की शुरुआत जर्मनी से मानी जाती है. इसको 1700ईशा में दुनिया के बाकी जगहों पर अपनाया जाने लगा. प्रोटेस्टेंट रिफॉर्मेशन के एक नेता मार्टन लूथर ने घर के अंदर सितारों भरा आसमान जैसा माहौल देने के लिए पेड़ पर जलती मोमबत्तियां लगाई थीं. इसके बाद इंग्लैंड में इस परंपरा की शुरुआत साल 1940 में हुई. महारानी विक्योरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट को इसका श्रेय जाता है. 19वीं शताब्दी के मध्य तक मोमबत्तियों, घर में बनी डेकोरेशंस, टॉफी-चॉकलेट्स और उपहारों से लदे क्रिसमस ट्री मध्यम वर्ग के घरों में काफी लोकप्रिय हो चुके थे.
सेंटा क्लॉज कैसे प्रचलित हुआ?
सेंटा क्लॉज को मशहूर सॉफ्टड्रिंक ब्रांड कोका-कोला से जोड़कर देखा जाता है. इसी कंपनी ने 1931 में इलस्ट्रेटर हैडन संडब्लॉम को यह काम दिया था, जिसके बाद फूले गाल, सफेद दाढ़ी और लाल सूट पहने एक शख्स की आइकॉनिक तस्वीर अस्तित्व में आई थी. सेंटा क्लॉज की अवधारणा का इतिहास सदियों पहले (280 एडी) में एक दयालु संत निकोलस को जाता है.
कैंडल जलाने की परंपरा कब शुरू हुई
आपने देखा होगा कि क्रिसमस के मौके पर फूलों के बीच मोमबत्तियां जलाई जाती हैं. इसकी शुरुआत सबसे पहले 1833 में जर्मनी में हुई थी. जब एक लूथरन पादरी ने क्रिसमस की कहानी बताते हुए मोमबत्ती जलाई थी. इसे ‘लाइट ऑफ द वर्ल्ड’ यानी एक प्रकाशमान दुनिया का प्रतीक माना जाता है. 19वीं शताब्दी के अंत तक यह सजावट और बी खास हो गई. मोमबत्तियों की जगह आभूषणों, बेरी, पाइनकोन आदि ने ले ली.
कार्ड भेजने की शुरुआत कब हुई
सबसे पहला क्रिसमस कार्ड जर्मनी के एक फिजिशियन माइकल मेयर ने किंग जेम्स 1 और प्रिंस ऑफ वेल्स को 1611 में भेजा. इसमें उन्होंने इस त्योहार की शुभकामना दी. हालांकि, बड़े स्तर पर क्रिसमस की शुभकामना वाले कार्ड भेजने की शुरुआत 1843 के बाद हुई.