Anna Hazare Bday: फूल बेचने वाला कैसे बन गया देश का सबसे बड़ा आंदोलनकारी फौज से रिटायरमेंट के बाद इस किताब ने बदली जिंदगी

अन्ना हजारे का पूरा नाम किसान बाबुराव हजारे है। उनका जन्म 15 जून 1937 यानी आज ही के दिन महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के निकट भिंगार में एक मराठी किसान परिवार में हुआ था।

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Anna Hazare B'day: यह एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता है, जो ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ सरकारी कार्यों को पारदर्शी बनाने और जनता की सेवा करने, भ्रष्टाचार की जाँच करने और सजा देने के लिए आन्दोलन के नेतृत्व कर्ता के रूप में जाने जाते है। अन्ना हजारे को 1992 में भारत सरकार द्वारा भारत के राष्ट्रीय पुरस्कार पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया था। 

अन्ना हजारे का जन्म और परिचय

अन्ना हजारे का पूरा नाम किसान बाबुराव हजारे है। उनका जन्म 15 जून 1937 यानी आज ही के दिन महाराष्ट्र के अहमद नगर जिले के निकट भिंगार में एक मराठी किसान परिवार में हुआ था। जानकारी के आपको बता दें कि वह अपने व्यक्तिगत जीवन में अविवाहित है।

अन्ना हजारे की शिक्षा 

गरीबी के चलते एक रिश्तेदार ने उनकी पढ़ाई कराने का जिम्मा उठाया और वह पढने के लिए मुंबई आ गए, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने अपनी आर्थिक असमर्थता जताई। जिसके कारण से अन्ना की पढाई 7वीं कक्षा तक ही हो पाई। बाद में अन्ना ने मुम्बई के दादर रेलवे स्टेशन पर फूल बेचने का काम करना शुरू कर दिया। जिससे उनको कामयाबी भी मिली। फिर वह एक ऐसे समूह में शामिल हो गए जिनका काम जमींदारों द्वारा गरीबों को डराने से रोकना उन्हें ठगने से बचना था। 

अन्ना हजारे का करियर

अन्ना हजारे ने अपने करियर की शुरुआत 1960 में सेना के एक ट्रक ड्राइवर में रूप में काम कर की थी। फिर 1962 में एक सैनिक के रूप में इन्हे भर्ती किया गया था। सेना में अपने 15 वर्ष के करियर (1960-1975) के दौरान अन्ना हजारे को पंजाब में 1965 के भारत-पाक युद्ध के बीच खेमकरण सेक्टर में सीमा पर तैनात किया गया था, 1971 में नागालैंड, मुम्बई और 1974 में जम्मू सहित कई स्थानों पर तैनात किया गया था। कई बार सड़क दुर्घटना में हजारे बाल-बाल बच गए थे, जिसको वह एक भगवान के चमत्कार के रूप में बताते है और कहते है कि यह मेरे लिए जन सेवा करने का एक संकेत था। 

फौज से रिटायरमेंट के बाद अन्ना हजारे ने पढ़ी ये किताब

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक बुक स्टैंड पर उन्होंने स्वामी विवेकानंद की एक छोटी किताब देखी जिसको उन्होंने पढ़ा। इस किताब का नाम कॉल टु द यूथ ऑफ द नेशन था। इस किताब के जरिए से अन्ना को बहुत प्रेरणा मिली और उन्होंने स्वामी विवेकानंद, गांधी और विनोबा भावे को पढ़ना शुरू किया। अन्ना का कहना है कि स्वामी विवेकानंद की उस किताब ने उनके जीवन के एक नई दिशा देने का काम किया है।  First Updated : Wednesday, 14 June 2023