तिरुपति मंदिर में कैसे मची भगदड़, हादसे का जिम्मेदार कौन?, उठे कई सवाल..6 श्रद्धालुओं की गई जान

हर साल वैकुंठ एकादशी पर तिरुपति वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. देश के हर इलाके से लोग इस विशेष समय में तिरुपति के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस बार वैकुंठ द्वार दर्शन 10 जनवरी से 19 जनवरी तक होने हैं. इसके लिए ही टोकन बांटे जाने की व्यवस्था की गई थी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में बुधवार देर रात को भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में अभी तक 6 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. यह घटना तब हुई, जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु वैकुंठ द्वार पर दर्शन के लिए टोकन लेने के लिए उमड़ पड़े, इससे भगदड़ मच गई. घायलों को अस्पताल ले जाया गया है. मृतकों में से एक की पहचान तमिलनाडु की रहने वाली मल्लिका के रूप में हुई है.

जानें कैसे मची भगदड़

बता दें कि हर साल वैकुंठ एकादशी पर तिरुपति वैकुंठ द्वार दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ती है. देश के हर इलाके से लोग इस विशेष समय में तिरुपति के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस बार वैकुंठ द्वार दर्शन 10 जनवरी से 19 जनवरी तक होने हैं. इसके लिए ही टोकन बांटे जाने की व्यवस्था की गई थी. टोकन 9 जनवरी की सुबह से बांटे जाने थे, लेकिन इसके लिए 8 जनवरी की रात से ही लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो गई. लोगों ने बैरागी पट्टीडा पार्क और MGM स्कूल सेंटर पर लाइन लगा ली. कुछ ही देर में 4 हजार से ज्यादा लोग इकट्ठे हो गए. इस दौरान ही भगदड़ मच गई.

घायलों को अस्पताल में कराया गया भर्ती

हादसे के बाद 40 घायलों में से 28 को रुइया अस्पताल और 12 को सिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, हालांकि दुर्भाग्य से रुइया में 4 और सिम्स में 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. मरने वालों में 5 महिलाएं और 1 पुरुष शामिल हैं.

तिरुपति नगर आयुक्त, मौर्य ने भी कहा, “एमजीएम स्कूल में एक को छोड़कर (दर्शन के लिए टोकन लेने के लिए) हर काउंटर पर बहुत शांति के साथ टोकन लिए जा रहे थे. एमजीएम स्कूल में लगे काउंटर में ही भगदड़ मची. वहां एक साथ 4000 से 5000 लोग इकट्ठा थे.

TTD ने मांगी माफी

इस हादसे के बाद टीटीडी बोर्ड मेंबर भानु प्रकाश रेड्डी ने कहा, मंदिर में एकादशी दर्शन के लिए टोकन बांटे जा रहे थे, इस के लिए हम ने 91 काउंटर खोले थे. यह बहुत दुखद है की भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में 6 लोगों की मौत हो गई और 40 लोग घायल हो गए हैं. हम सभी को मेडिकल फेसेलिटी दे रहे हैं. साथ ही उन्होंने कहा, आज तक टीटीडी के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है. मैं सभी श्रद्धालुओं से माफी मांगता हूं.

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने जताया दुख 

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना पर गहरा शोक जताया और राहत कार्यों का वादा किया. जहां उन्होंने हादसे के तुरंत बाद तिरुपति प्रशासन और टीटीडी के अधिकारियों के साथ टेली कॉन्फ्रेंस कर जानकारी ली और जरूरी आदेश दिए. वहीं, गुरुवार को मुख्यमंत्री दोपहर में खुद तिरुपति पहुंच स्थिति का जायजा लेंगे. इस बीच विपक्ष YSRCP ने इस हादसे को लापरवाही का नतीजा बताया और दोषियों पर कार्यवाही की मांग की है . इस हादसे पर प्रधानमंत्री ने भी शोक जताया है.

कई सवाल हुए खड़े

तिरुपति हादसे के बाद जहां टीटीडी ने दुख व्यक्त किया है और लोगों से माफी मांगी है, वहीं इस हादसे के बाद कई सवाल उठते हैं. जिनके जवाब अभी सामने नहीं आए हैं. तिरुपति हादसे का जिम्मेदार कौन? टिकट के लिए सिर्फ 91 काउंटर क्यों?
टोकन देने में बदइंतजामी क्यों?, पट्टीडा पार्क में कतार लगाने का फैसला क्यों? 4000 लोगों को शिफ्ट करने का फैसला किसका? श्रद्धालुओं की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा?
 

वैकुंठ एकादशी का कार्यक्रम 

वैकुंठ एकादशी शुक्रवार (10 जनवरी 2025) को मनाई जाएगी . टीटीडी ने इस पवित्र अवसर पर 10 जनवरी से 19 जनवरी तक तिरुमाला में पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए खास व्यवस्था की है.

वैकुंठ द्वार दर्शन का महत्व

वैकुंठ एकादशी हिंदू पंचांग के धनुर मास (धनु सूर्य मास) में आती है. इसे तमिल परंपराओं में धनुरमास या मार्गज़ी मास कहा जाता है. यह शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) की एकादशी है, जो कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते चरण) की एकादशी से अलग है. वैकुंठ एकादशी का निर्धारण सौर कैलेंडर के आधार पर होता है, जिसके कारण यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के मार्गशीर्ष या पौष मास में पड़ सकती है. इस दिन व्रत का पालन करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से वैकुंठ धाम के द्वार खुलने का विश्वास है. यह दिन विशेष रूप से आध्यात्मिक महत्व रखता है और मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है.

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09 January 2025, 09:28 AM IST

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