कोरोना वायरस 2019 के अंत में चीन से निकला था. इसके बाद 2020 और 2021 में यह वायरस दुनिया में महामारी बन गया, जिसने कई लाख लोगों की जान तक ले ली. इसके बाद कोरोना के नए वैरिएंट लगातार सामने आ रहे हैं. कोविड का नया वेरिएंट जेएन-1 दुनिया में जिस तरह फैल रहा है, उसने पूरी दुनिया को एक बार फिर से चिंता में डाल दिया है. ऐसे में सवाल यह पैदा हो रहा है कि किसी भी वायरस के वेरिएंट कैसे पैदा होते जाते हैं? आइज आपको हम इसके बारे में बताते हैं.
वैज्ञानिक का कहना है कि जेएन-1 कोरोना वायरस BA.2.86 की वंशावली का एक वेरिएंट है. अचानक कोई नये वायरस का वेरिएंट दुनिया में तबाही क्यों मचाने लगता है. इसके जवाब में वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस लगातार बदलते रहते हैं और वायरस के म्यूटेंट होने का सिलसिला रुकता ही नहीं है.
वायरस के कुछ म्यूटेंट उसे नए वेरिएंट में बदल देते हैं. जिसके चलते वह तेजी से फैलने लगता है. इससे वायरस आसानी से फैलता है. वहीं कुछ म्युटेशन वायरस को उसके उपचार या वैक्सीन का प्रतिरोधक बना देते हैं. यानी कि उस पर वैक्सीन या उपचार बेअसर रह जाता है.
वायरस में इस तरह के म्युटेशन, जिससे के चलते वह खतरनाक हो जाए, हमेशा संभव नहीं होता. जो वेरिएंट बहुत ज्यादा लोगों में संक्रमण फैलाते हैं, उनमें कई म्युटेशन की संभावना ज्यादा होती जाती है. वहीं यह बात भी गौर करने वाली है कि अधिकांश म्युटेशन वायरस पर बहुत बड़ा प्रभाव नहीं डालते हैं.
जो वायरस ज्यादा फैलता है, वो बदलता भी ज्यादा है. खुद को नए हालात के अनुकूल ढाल लेता है. ये शरीर को नुकसान पहुंचा कर खुद की संख्या बढ़ाता है और खुद को बचाए रखने के लिए बदलता रहता है. ऐसे में संक्रमण का अधिक फैलना वैज्ञानिकों की चिंता का कारण बन जाता है. फिलहाल जेएन-1 वेरिएंट को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट की श्रेणी में डाला हुआ है. अभी वह खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचा है. First Updated : Friday, 22 December 2023