Explainer : भारत रत्न पाने वाला कोई भी आदमी कैसे बन जाता है VVIP जानिए क्या मिलती हैं सुविधाएं

Bharat Ratna : भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न की शुरुआत 2 जनवरी 1954 को हुई थी. यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा के लिए प्रदान किया जाता है.

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया जाएगा. आडवाणी बीजेपी के दूसरे बड़े नेता हैं, जिनको एक दशक के अंदर भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. आज 3 दिसंबर को आडवाडी जी को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न की शुरुआत 2 जनवरी 1954 को हुई थी. यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में असाधारण और सर्वोच्च सेवा के लिए प्रदान किया जाता है. भारत रत्न मिलना किसी भी भारतीय के लिए सातवें आसमान का सम्मान होता है. आज हम इस आर्टकल में आपको भारत रत्न के बारे में बता रहे हैं.  

भारत रत्न की शुरुआत कब हुई?

भारत रत्न की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को हुई थी. तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने इसकी शुरुआत की थी. यह सम्मान स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को पहली बार दिया गया. हर साल 26 जनवरी को भारदत रत्न दिया जाता है. 

सम्मान के लिए कौन करता है सिफारिश

भारत रत्न पुरस्कार के लिए किसी आदमी के नाम की सिफारिश प्रधानमंत्री देश के राष्ट्रपति से करते हैं. इसके लिए किसी औपचारिक सिफारिश की जरूरत नहीं होती. इस सम्मान को पाने वाले नामों की घोषणा राष्ट्रपति की सहमति के बाद राष्ट्रपति सचिवालय करता है. देश के राष्ट्रपति चुने हुए शख्स को 26 जनवरी को भारत रत्न से सम्मानित करते हैं. हर साल किसी यह पुरस्कार दिया जाए ऐसा आवश्यक नहीं है. कोरोना काल में साल 2020 और 2021 में किसी को भारत रत्न सम्मान नहीं मिला. 


कैसा दिखता है भारत रत्न 

भारत रत्न एक सनद (प्रमाण-पत्र) होता है. इस पर राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर होते हैं. दूसरी चीज होती है टोन्ड कांस्य का बना हुआ पदक. यह पदक पीपल के पत्ते के आकार का होता है. आगे की तरफ प्लैटिनम का चमकता सूर्य बना होता है. जिसके नीचे चांदी से हिंदी में भारत रत्न लिखा होता है. इसके पीछे की ओर अशोक स्तंभ बना होता है और उसके नीचे देश का आदर्श वाक्य  'सत्यमेव जयते' लिखा होता है. सरकार की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार एक भारत रत्न पदक और उसके बॉक्स सहित मिनिएचर में कुल लागत दो लाख, 57 हजार, 732 रुपए आती है.

नाम के साथ कैसे करें इस्तेमाल

भारत रत्न पाने वाले आदमी की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ जाती है. आधिकारिक तौर पर इस सम्मान को अपने नाम से पहले या बाद में जोड़ा नहीं जा सकता. उदाहरण के लिए क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को साल 2014 में भारत रत्न सम्मान मिला था. कानूनी रूप से वो अपने नाम में पहले या बाद में भारत रत्न नहीं जोड़ सकते. यह नियम संविधान के अनुच्छेद 18 (1) के अनुसार बनाया गया है. हालांकि, अगर पुरस्कार विजेता को आवश्यकता महसूस होती, तो वो अपने बायोडाटा, लेटरहेड या विजिटिंग कार्ड जैसी जगहों पर लिख सकते हैं- ‘राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित’ या ‘भारत रत्न प्राप्तकर्ता’.

फ्री हवाई यात्रा की सुविधा

भारत रत्न पुरस्कार में शख्स को कोई धनराशि नहीं मिलती. मगर इस सम्मान से और कई फायदे होते हैं. इस मामले में एक व्यक्ति ने 2014 में RTI फाइल की थी. भारत सरकार की तरफ से गृह मंत्रालय ने जवाब में भारत रत्न से पुरस्कृत व्यक्ति को मिलने वाले फायदे बताए थे. इनमें से एक है जीवनभर मुफ्त में हवाई यात्रा. जानकारी के मुताबिक, इस सम्मान को पाने वाले व्यक्ति को एयर इंडिया की एग्जीक्यूटिव क्लास में पूरी जिंदगी मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी.

राज्य अतिथि का दर्जा

भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पाने वाले शख्स को भारत के भीतर किसी भी राज्य में यात्रा करते समय राजकीय अतिथि का दर्जा दिया जाएगा. राज्य के मेहमानों को राज्य में स्वागत, परिवहन, भोजन और आवास की सुविधा प्रदान की जाती है. नियमों के आधार पर उन्हें सुरक्षा भी दी जाती है. यह सम्मान देश के केवल कुछ लोगों को ही मिलता है. इसमें इनके अलावा भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसी बड़ी हस्तियों को ही राजकीय अतिथि का दर्जा मिलता है.


डिप्लोमैटिक पासपोर्ट का हकदार

भारत सरकार तीन तरह के पासपोर्ट जारी करती है. एक पासपोर्ट नीले रंग का होता है जो आम नागरिकों को जारी किया जाता है. देश के गवर्नमेंट ऑफिशियल को सफेद रंग का खास पासपोर्ट मिलता है. वहीं, भारतीय राजनयिकों और शीर्ष रैंकिंग वाले सरकारी अधिकारियों को मैरून कवर वाला डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जारी किया जाता है. भारत रत्न पुरस्कार के विजेता डिप्लोमैटिक पासपोर्ट के हकदार होते हैं. डिप्लोमैटिक पासपोर्ट धारकों को विदेशों में एम्बेसी से लेकर यात्रा के दौरान तक कई सुविधाएं दी जाती हैं. इसके अलावा, उन्हें वीजा की जरूरत नहीं पड़ती और इमिग्रेशन की प्रक्रिया भी बाकी की तुलना में जल्दी हो जाती है.

जज और सांसद से ऊपर होगी वरीयता

भारत सरकार का एक ऑर्डर ऑफ प्रेसिडेंस होता है. यह एक तरह की प्रोटोकॉल सूची होती है. इसमें भारत सरकार में पदाधिकारियों और अधिकारियों को रैंक और कार्यालय के अनुसार दर्ज किया जाता है. इस सूची में भारत रत्न से सम्मानित लोगों की वरीयता 7A रखी गई है. इस वरीयता को इस तरह से समझ सकते हैं कि सरकारी आयोजन में भारत रत्न के विजेता की वरीयता सुप्रीम कोर्ट के जज, सांसद, आर्मी कमांडर जैसे अहम लोगों के ऊपर रखी जाएगी. First Updated : Saturday, 03 February 2024