इंडियन नेवी की तैयारियों पर गंभीर सवाल: 38 दुर्घटनाओं की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
भारतीय नौसेना ने हाल ही में अपने 6,000 करोड़ रुपए की लागत वाले आधुनिक युद्धपोत, आईएनएस विक्रांत को दुर्घटना में खो दिया. यह जहाज भारतीय समुद्री ताकत का प्रतीक था, लेकिन खराब मौसम और तकनीकी खामियों के कारण यह बंदरगाह पर खड़े रहते हुए क्षतिग्रस्त हो गया. इस घटना ने भारतीय नौसेना की तैयारियों और उपकरणों की मेंटेनेंस प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं. इस प्रकार की घटनाओं से सुरक्षा उपायों और निगरानी की अहमियत पर फिरस से चर्चा की जा रही है.
नई दिल्ली. संसद में पेश 2017 की आटिट रिपोर्ट में बताया गया कि 2007 से 2016 के बीच भारतीय नौसेने के जहादों और पनजुब्बियों में 38 घटनाएं हुईं. इन घटनाओं ने बल की परिचालन तैयारियों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह प्रवृत्ति जारी रही रही जो यह दर्शाती है कि विशेषज्ञों और लेखापरीक्षा रिपोर्टों की ओर से सुझाए गए सुधारात्मक उपायों को लागू करने में विफलता रही है. यह राष्टीय सुरक्षा के लिए चिंताजनक स्थिति है.
घटना में भारतीय नौसेना का अग्रणी निर्देशित मिसाइल फ्रिगेट, आइएनएस ब्रह्मपुत्र, जो लगभग 3,900 टन वजन का है, 21 जुलाई की शाम को एक गंभीर आग में फंस गया. इस जहात को 'रेजिंग राइनो' के नाम से भी जानात जाता है. हादसा उस समय हुआ जब जहाज मुंबई नौसैनिक डाकयार्ज में रिपेयर के दौर से गुजर रहा था. यह जहाज 2000 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था.
इस कारण घटी ऐसी घटना
नियमित रखरखाव के दौरान, जहाज पर ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को आग लगने की सूचना मिली. नौसने डाकयर्ज से आए अग्रिशमन कर्मियों की मदद से क्रू ने आग पर काबू पाने की कोशिश की. लेकिन दोपहर होते-हेते जहाज बाएं दिशा में गंभीर रूप से झुका और बाद में और झुकने लगा. यह जहात अब एक तरफ झुका हुआ था. इसके बावजूद कई प्रयासों के बाद भी जहाज को सीधा नहीं किया जा सका. दुर्घना के दौरान जूनियर नाविक सितेंद्र सिंह लापता हो गए थे. उनका शव अंतत 24 जुलाई को मिला.
क्या इसे वापस पाना चुनौतीपूर्ण है?
आईएनएस ब्रह्मपुत्र को बचाने का कार्य अत्यंत कठिन होगा, क्योंकि इसका विस्थापन (जहाज द्वारा विस्थापित पानी की मात्रा का वजन) 3,850 टन है और यह अभी जेटी पर अपने बंदरगाह की दिशा में खड़ा है. रियर एडमिरल इस दुर्घटना के कारणों और परिस्थितियों की जांच करने वाले बोर्ड का नेतृत्व करेंगे, और साथ ही जिम्मेदारी तय करने का कार्य करेंगे.
नौसेना प्रमुख और अन्य अधिकारियों की स्थिति
23 जुलाई को नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने मुंबई नौसैनिक डॉकयार्ड में फ्रिगेट को हुए नुकसान का जायजा लिया. एक अधिकारी ने बताया कि उन्होंने आईएनएस ब्रह्मपुत्र के चालक दल से मुलाकात की और जहाज को जल्द से जल्द चालू करने के लिए बनाई जा रही योजना पर चर्चा की.
जहाज की स्थिरता बिगड़ी
नौसेना के उप प्रमुख कृष्णा स्वामीनाथन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि आग बुझाने के लिए बहुत सारा पानी इस्तेमाल किया गया था और शायद इसी कारण जहाज की स्थिरता बिगड़ी. उन्होंने कहा कि पानी निकालने के बाद जहाज को सीधा किया जा सकता है और तब हम नुकसान का आकलन कर सकते हैं.
पिछले अनुभव से सीखे गए पाठ
यह घटना भारतीय नौसेना के लिए एक और चेतावनी है कि नौसेना डॉकयार्डों में पुराने जहाजों और पनडुब्बियों की मरम्मत और रखरखाव की योजना कैसे बनाई जाती है और कैसे कार्यान्वित होती है. भारतीय नौसेना का सुरक्षा रिकॉर्ड इस संदर्भ में चिंताजनक है। 1990 के बाद से हर पांच साल में भारतीय नौसेना ने एक युद्धपोत खो दिया है. यद्यपि शांति काल में युद्धपोतों का खोना असामान्य नहीं है, लेकिन भारतीय नौसेना का रिकॉर्ड संदिग्ध बना हुआ है.
नौसेना की दुर्घटनाओं और CAG रिपोर्ट
2016 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2007 से 2016 के बीच 38 नौसैनिक दुर्घटनाएं हुईं. इनमें से अधिकांश आग, विस्फोट या बाढ़ के कारण थीं, और इन घटनाओं में 33 कर्मियों की मृत्यु हुई. रिपोर्ट में कहा गया कि इन दुर्घटनाओं के लिए चालक दल की गलतियां और सामग्री की विफलता जिम्मेदार थीं. CAG की रिपोर्ट में भारतीय नौसेना द्वारा अपनाए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल की आलोचना की गई. इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि जहाजों और पनडुब्बियों का खोना भारतीय नौसेना की परिचालन तैयारियों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, क्योंकि नए जहाजों के अधिग्रहण में आठ से दस साल का समय लगता है.
मरम्मत में देरी और सुरक्षा से संबंधित चिंताएं
2013 में CAG की रिपोर्ट में नौसेना के डॉकयार्ड्स और मरम्मत यार्ड्स में युद्धपोतों की मरम्मत में हो रही देरी की कड़ी आलोचना की गई. रिपोर्ट के अनुसार, मरम्मत में देरी के कारण युद्धपोतों को उनकी परिचालन भूमिका में तैनात करने में कठिनाई होती है, और वे भारतीय सुरक्षा जरूरतों के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हो पाते.
भारतीय नौसेना के जहाजों से जुड़ी बड़ी दुर्घटनाएं
अगस्त 1990: अंडमान द्वीप समूह से विशाखापत्तनम लौटते समय पनडुब्बी रोधी युद्ध अभ्यास के दौरान अर्नाला श्रेणी का युद्धपोत आईएनएस अंडमान डूब गया, जिसमें 15 नौसैनिकों की मौत हो गई.
2010: इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, विध्वंसक पोत आईएनएस मुंबई पर सवार तीन चालक दल के सदस्यों की मृत्यु हो गई, जब सुरक्षा अभ्यास का पालन न किए जाने के कारण एके-630 हथियार प्रणाली चल गई.
जनवरी 2011: अब सेवामुक्त हो चुका नीलगिरि श्रेणी का फ्रिगेट आईएनएस विंध्यगिरि, सनक रॉक लाइटहाउस के पास साइप्रस ध्वज वाले व्यापारी जहाज से टकराने के बाद पलट गया, जिसके बाद जहाज के इंजन और बॉयलर रूम में भीषण आग लग गई। किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
अगस्त 2013: मुंबई तट के पास नौसेना डॉकयार्ड में खड़ी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक के टारपीडो डिब्बे में विस्फोट हो गया. इसमें 15 नौसैनिक और तीन अधिकारी मारे गए.
दिसम्बर 2013: भारतीय नौसेना के तलवार श्रेणी के प्रमुख जहाज आईएनएस तलवार, महाराष्ट्र के तट पर एक मछली पकड़ने वाले से टकरा गया, जिससे जहाज पर सवार 27 लोगों में से चार घायल हो गए और जहाज डूब गया.
फरवरी 2014: आईएनएस सिंधुरत्न, एक किलो-श्रेणी की पनडुब्बी, में परीक्षण के दौरान आग लग गई. इसके परिणामस्वरूप धुआं फैल गया और दो अधिकारियों की दम घुटने से मृत्यु हो गई.
मार्च 2014: मुंबई में आईएनएस कोलकाता में खराबी आ गई, जिसके कारण जहरीली गैस लीक हो गई और कमांडर कुंतल वाधवा की मौत हो गई.
मार्च 2014: विशाखापत्तनम डॉकयार्ड में अरिहंत श्रेणी की परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी के हाइड्रोलिक टैंक का दबाव परीक्षण के दौरान कम हो जाने से टैंक का ढक्कन श्रमिकों पर गिर गया. इससे एक नागरिक श्रमिक की मौत हो गई तथा दो लोग घायल हो गए.
मई 2014: मुंबई डॉकयार्ड में मरम्मत के दौरान INS गंगा के बॉयलर रूम में मामूली विस्फोट हुआ. चार लोग मामूली रूप से घायल हो गए.
नवंबर 2014: एस्ट्रावाहिनी श्रेणी का टारपीडो रिकवरी पोत टीआरवी ए 72 नियमित अभ्यास के दौरान विशाखापत्तनम के पास डूब गया. बचाव के दौरान एक नाविक की मौत हो गई और चार लापता हो गए (मारे जाने की आशंका है).
अप्रैल 2016: आईएनएस निरीक्षक पर ऑक्सीजन सिलेंडर विस्फोट में एक नाविक ने अपना पैर खो दिया, जबकि दो अन्य घायल हो गए.
जून 2016: कारवार में विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य के प्रथम पुनर्निर्माण के दौरान सीवेज उपचार संयंत्र के डिब्बे में रखरखाव कार्य के दौरान हुई जहरीली गैस के रिसाव से एक नाविक और एक नागरिक ठेकेदार की मौत हो गई.
दिसम्बर 2016: ब्रह्मपुत्र श्रेणी का युद्धपोत आईएनएस बेतवा मुम्बई में डॉक से बाहर निकलते समय पलटकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें दो नाविकों की मृत्यु हो गई तथा 14 अन्य घायल हो गए.
अक्टूबर 2021: विशाखापत्तनम में खड़े आईएनएस रणविजय में आग लगने से चार नाविक घायल हो गए.
जनवरी 2022: मुंबई में खड़े आईएनएस रणवीर में हुए विस्फोट में तीन नाविकों की मौत हो गई और 11 अन्य घायल हो गए.