'मस्जिद में 'जय श्री राम' के नारे लगाना अपराध कैसे?', SC ने कर्नाटक सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के अंदर जय श्री राम के नारे लगाकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में दर्ज मामले को रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाले मामले में कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा है.
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाने को लेकर दर्ज मुकदमे के मामले में कर्नाटक सरकार से जवाब तलब किया है. इस मामले में हाई कोर्ट द्वारा एफआईआर रद्द किए जाने के आदेश को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह याचिका की प्रति राज्य सरकार को सौंपे। सुप्रीम कोर्ट इस पर जनवरी में सुनवाई करेगा.
क्या है मामला?
आपको बता दें कि यह मामला कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के कडाबा तालुका का है, जहां दो आरोपियों- कीर्तन कुमार और सचिन कुमार पर आरोप है कि उन्होंने मस्जिद में 'जय श्री राम' का नारा लगाकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई. इन दोनों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 447 (अवैध प्रवेश), 295A (धार्मिक भावना आहत करना) और 506 (धमकी देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. बता दें कि याचिकाकर्ता हैदर अली की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने तर्क दिया कि यह मामला केवल नारे लगाने का नहीं है, बल्कि मस्जिद में अवैध रूप से घुसकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश का भी है.
हाई कोर्ट का निर्णय
वहीं आपको बता दें कि 13 सितंबर को कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस नागप्रसन्ना की बेंच ने एफआईआर को रद्द करते हुए कहा था कि केवल नारे लगाने को दूसरे धर्म का अपमान नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द बना हुआ है और इस घटना से कोई बड़ी समस्या पैदा नहीं हुई.
सुप्रीम कोर्ट का रुख
इसके अलावा आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझने के लिए कर्नाटक सरकार से इस पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि पुलिस ने जांच के दौरान आरोपियों के खिलाफ क्या सबूत पेश किए और एफआईआर रद्द करने में सीआरपीसी की धारा 482 का सही इस्तेमाल हुआ या नहीं.
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट का यह मामला धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. अब सभी की नजरें जनवरी में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं.